आत्मधर्मः४०:
मंगल जन्मोत्सव अंक
निज स्वरूपनुं ध्यान धरीने साध्युं केवळज्ञान.
जगतथी अत्यंत विरक्त ने चिदानंदस्वरूपमां अतिशय अनुरक्त एवा आ भगवान
बाहुबलीनी अचिंत्य प्रभावशाळी प्रशांतमुद्रा जगतने आत्मसाधनानी महान प्रेरणा आपी रही छे.
चक्रवर्ती सामे विजेता थवा छतां ए वैभवने त्यागीने चैतन्यपदथी अडोल साधना वडे जगतने
बताव्युं के चैतन्यना वैभाव पासे चक्रवर्तीना वैभवनी किंचित्मात्र महत्ता नथी निजानंदमां लीन
एमनी मुद्रा चैतन्यसाधनानो मार्ग प्रकाशी रही छे.