Atmadharma magazine - Ank 235
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्मः४३:
(श्री जैन स्वा. मंदिर ट्रस्टना माननीय प्रमुखश्री नवनीतलालभाई
सी. झवेरी (जे. पी.) तरफनी आ जन्मोत्सव अंक माटे मळेल भावभीनो
अभिनंदन संदेश अहीं रजु करवामां आव्यो छे. चालीस चालीस वर्षना
तृषातूर एक तत्त्वजिज्ञासु जीवना अंतरमांथी गुरुदेव प्रत्ये ऊठती आ
लागणी सौने जरूर प्रमोदित करशे.)
परम पूज्य गुरुदेवना संपर्कमां आव्याने मने मात्र त्रणचार वर्ष थया,
छतां अत्यार सुधीनी जिंदगीमां जैनधर्मनुं सत्य तत्त्वज्ञान–के जेने जाणवा माटे
लगभग चालीस वर्षनी तृषा हती, अने जे तृषा अनेक प्रयासो छतां छीपती
न हती ते आटला टूंक समयमां पूज्य गुरुदेवनी वीतरागी रसझरती ने
स्वसन्मुखता तरफ प्रेरती वाणीथी छीपी. आजे स्व अने परना भेदविज्ञान
पर द्रष्टि आगळ ने आगळ धपे छे. जैन धर्मना आटला गूढ सिद्धांतो–के जे
सिद्धांतोनुं आलेखन हजारो शास्त्रोमां थयुं छे, अने जे सिद्धांतो माटे एम
कहेवामां आवे छे के ज्यां बीजा धर्मना सिद्धांतो पूरा थाय छे त्यां जैन धर्मना
सिद्धांतोनी शरूआत थाय छे–तेवा सिद्धांतोने, अने गहनमां गहन सिद्धांतग्रंथ
परम पूज्य कुंदकुंदाचार्यरचित श्री समयसारजी–के जेमां “भावो ब्रह्मांडना
भर्या” छे ते ग्रंथने, छेल्ला त्रणसो वर्ष पछी आ काळमां सहेलामां सहेली शैली
अने भाषामां विश्वसमक्ष मूकनार कोई उच्च व्यकित होय तो ते पूज्य गुरुदेव
छे. तेओश्रीना ७४ मा मंगळ जन्मोत्सव प्रसंगे लाखलाख भावभीना
अभिनंदनपूर्वक प्रार्थना करुं छुं के हे गुरुदेव! आपे दर्शावेला अंतरना
स्वसन्मुखमार्गमां गति करवानी शक्ति आपनी छायामां शीघ्र प्राप्त थाओ.