: २४: आत्मधर्म: २३६
बिराजे छे, ने उपरना भागमां श्री नेमिनाथप्रभु बिराजे छे, भगवंतोनी स्थापना श्री पोपटलाल
मोहनलाल वोरा, चीमनलाल हिंमतलाल शाह, मनमोहनदास छोटालाल गांधी, अनोपचंद छगनलाल
उदाणी, नेमिदास खुशालदास अने गोकळदास शिवलाल (हा. लेरीबेन) द्वारा थई हती. सौए घणा
भक्तिभावथी भगवंतोने बिराजमान कर्या हता. शास्रजीनी स्थापना शेठ पुरणचंदजी (मुंबईवाळा)
हस्ते थई हती. तथा कलश अने ध्वजारोहण श्री अमुलखभाई लालचंद तथा त्रंबकलाल हिंमतलालना
हस्ते घणा उल्लासपूर्वक थयुं हतुं. पोतानी नगरीना आंगणे जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा थतां
जोरावरनगरना बधा भाईओ हर्षोल्लासथी नाची ऊठया हता; भगवंतोनी प्रीतष्ठाना कार्यमां सौए
घणा उल्लासथी भाग लीधो हतो. प्रतिष्ठा बाद गुरुदेव सहित सौए जिनेन्द्र भगवंतोने अर्ध चढाव्यो
हतो ने भक्ति थई हती. बपोरे शांतियज्ञ तथा प्रवचन बाद आभारविधि अने सन्देशावांचन थयुं
हतुं. पछी जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा घणी नीकळी हती. हाथी वगेरे अनेकविध साजथी रथयात्रा
घणी शोभती हती. रात्रे जिनमंदिरमां भक्ति थई हती. –आम घणा आनंदोल्लासपूर्वक जिनेन्द्र
भगवाननो पंचकल्याक प्रतिष्ठा महोत्सव संपूर्ण थयो हतो. आ प्रतिष्ठामां कुल १८ जिनबिंबोनी
प्रतिष्ठा थई हती, ने रूा. एक लाख आठ हजार जेटली आवक थई हती. आम जिनेन्द्र भगवाननी
प्रतिष्ठानो तेरमो पंचकल्याणक महोत्सव ऊजवीने बीजे दिवसे (वै. सु. १४) सवारमां जिनमंदिरमां
दर्शन तथा भक्ति करीने पू. गुरुदेव जोरावरनगरथी वढवाण शहेर पधार्या. जोरावरनगरमां आवो
भव्य पंचकल्याणक महोत्सव ऊजववा माटे त्यांना सर्वे मुमुक्षुओने अभिनंदन.
वढवाण शहेर:– वैशाख सुद १४ना रोज वढवाण शहेर पधारतां भव्य स्वागत थयुं. साथे
साथे हाथी उपर श्री जिनेन्द्रदेवनी गजयात्रा पण नीकळी हती. आ स्वागतप्रसंगे अजमेरनी
भजनमंडळी पण साथे हती, तेथी भगवाननी रथयात्रा अने स्वागतनो प्रसंग उल्लासकारी हतो.
अहीं जिनमंदिरमां सीमंधरादि भगवंतो बिराजे पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद प्रवचरना मंडपमां ज
जिनेन्द्रदेवने बिराजमान करीने भक्ति थई हती. रात्रे पण अजमेरनी भजनमंडळीना भक्ति–
भजननो कार्यक्रम हतो. पू. गुरुदेव वढवाण शहेरमां त्रण दिवस रहीने वैशाख वद बीजनी सवारे
लींबडी शहेर पधार्या हता. नूतन प्रतिष्ठित श्री महावीरभगवाननुं तेमज गुरुदेवनुं भव्य स्वागत
थयुं. लींबडी शहेरमां त्रण दिवस रहीने गुरुदेव वैशाख वद पांचमे देहगाम पधार्या. हवे सौराष्ट्रमांथी
गुजरातमां आव्या.
देहगाममां वेदीप्रतिष्ठा महोत्सव: पू. गुरुदेव देहगाम (वैशाख वद पांचमे) पधारतां
गुजरात सौराष्ट्रनी जनताए उत्साहपूर्वक स्वागत कर्युं. गुरुदेव अहीं चार दिवस बिराज्या अने
तेमनी मंगलछायामां नूतन जिनमंदिरमां जिनेन्द्र भगवंतोनी वेदीप्रतिष्ठानो उत्सव बहु ज उल्लासथी
ऊजवायो. आ नुतन जिनमंदिर लगभग रूा. पप०००) ना खर्चे तैयार थयुं छे. पांचमनी सवारमां
मंगलप्रवचन बाद भाईश्री डाह्यालालभाईए प्रतिष्ठामंडपमां जिनबिंब (सीमंधर भगवान) ने
बिराजमान कर्या अने श्री भीखालालभाई तथा हीराभाईना हस्ते झंडारोपण थयुं. बपोरे प्रवचन
बाद श्री चोसठऋद्धि मंडलविधान पूजन थयुं. बीजे दिवसे सवारमां आचार्यअनुज्ञा, ईन्द्रप्रतिष्ठा,
नांदीविधान वगेरे विधि थई हती. अहीं बार ईद्रोनी स्थापना थई हती. चोसठ ऋद्धिविधान पूजन
समाप्त थतां अभिषेक थयो हतो. बपोरे प्रवचन पछी यागमंडलविधान थयुं हतुं. वैशाख वद सातमना
रोज सवारे प्रवचन बाद जलयात्रानुं भव्य जुलूस (ईन्द्रो सहित) नीकळ्युं हतुं. सांजे निजमंदिर तथा
वेदी–कळश–ध्वज शुद्धिनी विधि ईन्द्रो वगेरेना हस्ते थई हती. वैशाख वद आठमना रोज सवारे
लगभग साडादस वागे श्री जिनमंदिरमां वेदीपर श्री जिनेन्द्रभगवंतोने अत्यंत हर्षोल्लास पूर्वक
बिराजमान करवामां आव्या हता. मूळनायक भगवान श्रीवर्द्धमानस्वामीनी स्थापना भाई श्री
केशवलाल गुलाबचंदना सुपुत्रो अंबालालभाई, बाबु–