Atmadharma magazine - Ank 236
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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जेठ: २४८९ : २७:
त्यांथी बीजे दिवसे सवारमां सोनकच्छ गामे पधार्या हता. त्यां उत्साहभर्युं स्वागत थयुं हतुं. सांजे
प्रस्थान करीने शिहोर (SHEHORE) आव्या हता, ने वैशाख वद अमासना रोज भोपालशहेर
पधार्या हता.
भोपाल शहेरमां विशाळ मुमुक्षुमंडळ छे, अने प्रभावना माटे त्यांना मुमुक्षुओ उत्साह धरावे
छे. श्री बिहारीलालजी चौधरीना धर्मपत्नी सौ. श्रीमणी शक्करबाई तरफथी शांतिनाथप्रभुनुं एक
नूतन दि. जैनमंदिर तथा कुंदकथ्ुंद स्वाध्याय भवन (लगभग ६० हजार रूा. ना खर्चे) निर्माण कराव्युं
छे. तेमां वेदी प्रतिष्ठा तथा स्वाध्याय भवननुं उद्घाटन. तेमज विशाळ आध्यात्मिक संमेलननो भव्य
महोत्सव ता. २३ थी २७ (वै. वद अमासथी जेठ सुद पांचम) सुधी ऊजवायो. आ प्रसंगे भोपालना
मुमुक्षुमंडळनी खास विनंतिथी पू. गुरुदेव वैशाख वद अमासे भोपाल शहेरमां पधार्या. मध्यप्रदेशना
आ मुख्य नगरमां पांच हजार जेटली जैन जनताए उल्लासथी गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं. जिनमंदिरमां
दर्शन कर्या बाद, स्वागत–सरघसनी साथे साथे जिनेन्द्र भगवाननी रथयात्रा पण संमिलित थई.
भगवाननो रथ सफेद घोडा सहित घणो सुंदर हतो. भव्य रथयात्रा नगरीमां फरीने बेनरजी चोकमां
शांतिनाथ नगरना विशाळ सुशोभित प्रतिष्ठा मंडपमां आवी. त्यां पं. फूलचंदजी सिद्धांतशास्त्री तथा
श्री डालचंदजी शेठ वगेरेए स्वागत प्रवचनो कर्या बाद गुरुदेवे समयसारनी पहेली गाथा उपर
मांगलिक संभळाव्युं चारेबाजुना अनेक गामोथी हजारो जिज्ञासुओ आ प्रतिष्ठा महोत्सवमां भाग
लेवा आव्या हता, ने घणा ज उमंगभर्या वातावरण वच्चे उत्सव उजववानो हतो. प्रतिष्ठा मंडपनी
बाजुमां झरनावाला जिनमंदिरमां अनेक जिनबिंबो बिराजे छे. तेमां १प फूटना विशाळ खड्गासन
प्रतिमाओनी त्रिपुटीना दर्शनथी आनंद थाय छे. अहीं मध्यप्रदेशना नाणाप्रधान श्री मिश्रिलालजी
गंगवालजेओ आ पहेलां अनेकवार गुरुदेवना परिचयमां आवी गया छे ने गुरुदेव प्रत्ये भक्तिभाव
धरावे छे–तेमना बंगलामां गुरुदेवनो उतारो हतो. गुरुदेव प्रत्ये तेओ घणो भाव धरावे छे, ने
गुरुदेवना निकट सहवासथी तेमने तथा तेमना परिपवारने घणी प्रसन्नता थई हती. बपोरे
समयसार–कर्ताकर्म अधिकार ऊपर गुरुदेवे प्रवचनो शरू कर्या हता–प्रवचनमां दसेक हजार माणसो
थया हता. प्रवचन पछी मंडपमां बिराजमान शांतिनाथ भगवाननी भक्ति पू. बेनश्री–बेने करावी
हती. रात्रे बृहत् आध्यात्मिक सम्मेलनना उद्घाटननो समारंभ थयो हतो. जेमां मध्यभारतना
राज्यपाल श्री एच. वी. पाटस्कर तेमज प्रधानमंडळना सभ्यो उपरांत नगरीना हजारो माणसो
उपस्थित हता. शरूआतमां मंगलाचरण तथा स्वागत प्रवचन बाद आध्यात्मिकसंमेलननुं उद्घाटन
करतां श्री पाटस्करजीए आध्यात्मिकतानो महिमा बतावता कह्युं के आध्यात्मिकता ए भारतवर्षनी
एक विशिष्ट परंपरा छे; आत्मा शुं छे, ते क््यांथी आव्यो, क््यां जशे? ए एक महत्त्वनो सवाल छे;
रशिया के अमेरिकाए अवकाशमां रोकेट छोडयुं एमां भौतिक प्रगति भले हो परंतु आध्यात्मिक द्रष्टिए
तेमां कांई प्रगति नथी; जो आध्यात्मिक विषय तरफ ध्यान न जाय तो शांति नथी मळती, ने संघर्ष
तथा हिंसा थाय छे. हुं प्रसन्नता अनुभवुं छुं के आजे अहीं आवुं महान आध्यात्मिकसम्मेलन प्रारंभ
थयुं छे, ने आवा अच्छा संत महात्मा अहीं पधार्या छे ते आपणी सबनी पुण्याई छे. आवा
आध्यात्मिकसम्मेलनमां संमिलित थवानुं हुं मारुं कर्तव्य समजुं छुं. मने विश्वास छे के अहीं जे पवित्र
कार्य थई रह्युं छे तेनो बधो लोको लाभ उठावशे.”
राज्यपालश्रीना उद्घाटन प्रवचन बाद पू. गुरुदेवे आध्यात्मिक संमेलनमां उपस्थित दशेक
हजार जेटली जनताने उद्बोधन करतां सुंदर प्रवचन वीस मिनिट सुधी कर्युं हतुं; जेमां नमः
समयसाराय ए मंगलश्लोक उपर प्रवचन करतां अध्यात्मविद्यानुं स्वरूप अने तेनो सर्वोत्कृष्ट महिमा
समजाव्यो हतो. तेओश्रीनी