Atmadharma magazine - Ank 236
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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: २८: आत्मधर्म: २३६
अध्यात्मरसझरती शांत वाणी सांभळतां हजारो माणसो खूब प्रसन्न थया हता; तेओश्रीए कह्युं हतुं के
संसारनी सर्व विद्यामां चैतन्यनी आत्मविद्या सर्वश्रेष्ठ छे. अध्यात्मविद्या विना बीजा कोई क्रियाकांडमां
जन्ममरणनो नाश करवानी ताकात नथी. सा विद्या या विमुक्तए–विद्या तेनुं नाम के जेनाथी मुक्ति
थाय. जेनाथी ८४ना अवतारनुं परिभ्रमण थाय ते कुविद्या छे, विकार अने आत्मानी एकत्वबुद्धिरूप
जे ग्रंथि छे ते कुविद्या छे. स्वानुभूति वडे आत्माने जाणवो ते अध्यात्व विद्या छे ने ते विद्या मोक्षनुं
कारण छे. संसारनी अनेकविद्या जीव अनंतवार शीख्यो छे पण जन्ममरणनो जेनाथी अंत आवे एवी
अध्यात्मविद्या–स्वानुभूतिरूप विद्या ते क्षणमात्र शीख्यो नथी. अंतर्मुख थईने रागथी भिन्न चैतन्यनी
स्वानुभूति वडे ते अध्यात्मविद्यानुं उद्घाटन थाय छे, ने ज्यां आवी अध्यात्मविद्यानुं उद्घाटन थयुं
त्यां अल्पकाळमां पूर्णानंदनी प्राप्ति जरूर थाय छे. –माटे आवी अध्यात्मविद्या शीखवा जेवी छे.
त्यारबाद मध्यभारतना वित्तमंत्री श्री मिश्रिलालजी गंगवाले–अध्यात्मविद्यानो अने संतनो
महिमा दर्शावतां पोताना भाषणमां कह्युं के: आजे आपणे सौभाग्यनो दिवस छे के हमारे बीचमें
हमारे देशके महान संत पू. कानजीस्वामी बिराजमान छे, –जेओ आ आध्यात्मिक संमेलनमां तथा
धार्मिक महोत्सवमां आशीर्वाद दईने मोक्षनो परम श्रेष्ठ रस्तो बतावशे. आ भौतिक साधनना
बनावटी जीवनमां अटवायेला जीवोने शांतिनो साचो रस्तो बताववा माटे सन्तो भूमि उपर विचरे
छे, ते रीते पू. स्वामीजी सौराष्ट्रथी अहीं पधार्या छे; तेओ आध्यात्मिक सन्देश संभळाववा आव्या छे;
मने विश्वास छे के अहींनी जनता आवा आध्यात्मिक संमेलननो लाभ उठावशे ने स्वामीजीनो सन्देश
झीलीने आध्यात्मिक शक्तिनी बढवारी द्वारा आपणा महान देशनी शक्ति वधारशे.
आ प्रसंगे आध्यात्मिक संमेलन निमित्ते बीजा अनेक विद्वानोना पण अध्यात्म विषयो उपर
भाषण थता हता; साथे साथे वेदी प्रतिष्ठानी विधि पण (जलयात्रा, यागमंडल–विधान वगेरे) चालु
हती... अनेक त्यागीओ तथा विद्वानो अने हजारो श्रोताजनोथी सभानो देखाव भव्य हतो. जेठ सुद
४ना प्रवचन बाद श्री मिश्रिलालजी गंगवाले भजनोवडे भक्ति करावी हती. अजमेरनी भजनमंडळी
पण आवी हती.
जेठ सुद पांचम–श्रुतपंचमी ए प्रतिष्ठानो दिवस हतो. सवारमां भगवाननी भव्य रथयात्रा
झरनावाला मंदिरनेथी (प्रतिष्ठा मंडपथी) नीकळीने मुख्य बजारोमां थईने चोकना नवा मंदिरे आवी
हती. प्रतिष्ठित थनार श्री शांतिनाथ भगवानना प्रतिमाजीथी रथ घणो शोभतो हतो, तेमांय
रथयात्रामां थोडीवार भगवानना सारथि तरीके गुरुदेव रथमां बेठा त्यारे रथयात्रानुं वातावरण घणुं
आनंदोल्लासमय बनी गयुं हतुं. उत्तम रथी अने उत्तम सारथी वडे रथयात्रा शोभती हती. जिनमंदिर
पासे हजारो भक्तो खूबज उत्सुकताथी भगवान पधारवानी राह जोई रह्या हता. लगभग १० वागे
रथयात्रा जिनमंदिरे पहोंची ने भगवानने नीहाळतां चारेकोर जय जयकार गाजी रह्या. भगवान
जिनमंदिरमां कमळथी सुसज्जित वेदी उपर बिराजया, ए वखते जिनमंदिरना प्रांगणमां हजारो
भक्तोनी भीड उभराई रही हती. शांतिनाथ भगवाननी वेदीप्रतिष्ठा बाद, कुंदकुंदस्वाध्याय भवनमां
श्रुतज्ञाननी प्रतिष्ठा पू. गुरुदेवना मंगलहस्ते थई. समयसार अने षट्खंडागमने गुरुदेवे भक्तिपूर्वक
बिराजमान कर्या. त्यारबाद मांगलिक संभळावतां गुरुदेवे कह्युं के–आजे श्रुतपंचमीनो महान दिवस छे,
ने अहीं श्रुतज्ञाननी स्थापना पण आजे ज थाय छे. अमारा सौराष्ट्रमां गीरनारनी चंद्रगूफामां
श्रीधरसेनाचार्य बिराज्या हता, तेओ भगवाननी परंपराथी आवेला श्रुतना जाणनार हता; ते
श्रुतज्ञान तेमणे पुष्पदंत अने भूतबलि नामना मुनि ओने आप्युं. ते मुनिओए तेनी षट्खंडागमरूपे
रचना करी ने पछी आजना दिवसे श्रुतपंचमीना रोज अंकलेश्वरमां ते श्रुतज्ञाननी घणा मोटा उत्सव
पूर्वक चतुर्विध संघे पूजा करी; ए रीते श्रुतज्ञानना