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पू. गुरुदेवना मंगल विहारना विविध समाचार वींछीया सुधीना गतांकमां
आप्या छे; त्यार पछी वींछीया, लाठी, सुरेन्द्रनगर, जोरावरनगर, वढवाण, लींबडी,
देहगाम, अमदावाद, दाहोद, भोपाल, भेलसा, ईन्दोर, उज्जैन, सनावद, खंडवा,
पावागीर बडवानी, वगेरेना समाचार अहीं आपवामां आव्या छे. झडपी प्रवासने
कारण समाचारो टूंकमां ज आपी शकाया छे. – ब्र. हरिलाल जैन.
वींछीया:– पू. गुरुदेव चैत्र वद आठमे वींछीया नगरमां पधार्या... स्वागत बाद मांगळिकमां
कह्युं के ज्ञानानंदस्वरूप आत्मा छे तेनी भावना करवी ते मंगळ छे. “आतमभावना भावतां जीव लहे
केवळज्ञान...” एटले के परभावोथी भिन्न ज्ञानानंदस्वरूप हुं छुं–एम आत्माने जाणीने तेनी भावना
करतां सम्यग्दर्शन थाय छे, ने अतीन्द्रिय आनंद अनुभवाय छे–ते अपूर्व मंगळ छे; तेनी भावनाथी ज
सम्यग्ज्ञान ने सम्यक्चारित्र थाय छे, तथा तेनी भावनाथी ज केवळज्ञान थाय छे, ते उत्कृष्ट मंगळ छे,
आवी आत्मभावना करवा जेवी छे. चैत्र वद दसमे गुरुदेव वींछीयाना ते वड वृक्ष नीचे पधार्या हता के
ज्यां तेओश्री अगाउ स्वाध्याय–मनन करवा जता, रात्रे लव–कुश वैराग्यनो संवाद थयो हतो. बीजे
दिवसे भगवान जिनदेवनी रथयात्रा नीकळी हती. सोनगढमां (सं. १९९७मां) दि. जिनमंदिर थयुं
त्यारबाद सौथी पहेलुं जिनमंदिर वींछीयामां (सं. २००पमां) थयुं. वींछीयानुं जिनमंदिर सोनगढना
जुना जिनमंदिरनी ज लगभग प्रतिकृति छे. वींछीया जिनमंदिरमां मूळनायक चंद्रप्रभु भगवान छे.
वींछीयाना प्रवचननो नमुनो आ अंकमां आपवामां आव्यो छे, वींंछीयामां गुरुदेव पधार्या ते प्रसंगे
जसदणमां जिनमंदिर करवानुं नक्की थतां त्यांना मुमुक्षुओने घणो हर्ष थयो हतो.
लाठी शहेरमां जिनमंदिरना शिखरनी प्रतिष्ठा
अने गुरुदेवनो मंगल जन्मोत्सव
चैत्र वद १३ना रोज पू. गुरुदेव लाठी शहेर पधारतां भव्य स्वागत थयुं. ७४ मंगल कळश
सहितनुं स्वागत सरघस शोभतुं हतुं. स्वागत बाद नूतन स्वाध्याय मंदिरनुं उद्घाटन शेठ श्री
नवनीतलालभाई सी. झवेरी (J. P.) ना सुहस्ते थयुं हतुं. उद्घाटन बाद स्वाध्याय मंदिरमां
मांगलिक संभळावतां गुरुदेवे कह्यु: आ आत्मतत्त्वनुं भान थतां मिथ्यात्व टळे ने अपूर्व शांति प्रगटे
ते मंगळ छे. आत्मानुं भान थाय–एवी अध्यात्मनी कथा सांभळवी ते पण मंगळ छे. ते कथा केवी छे?
अनंतकाळमां एकक्षण पण प्राप्त न करेली एवी अपूर्व शांति देनारी छे. धीरजथी ने प्रेमथी अंतरना
चैतन्यस्वभाव तरफ वलण थाय एवी चैतन्य कथानुं श्रवण पण अपूर्व मंगळ छे. जुओ, आजे आ
(अनुसंधान पृष्ठ २० पर)