Atmadharma magazine - Ank 237
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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ता. २प–प–६३ना रोज भोपालशहेरमां आध्यात्मिक सम्मेलननो प्रारंभ थयो तेनुं द्रश्य;
सम्मेलनमां लगभग दश हजार श्रोताजनोनी सभाने गुरुदेव आध्यात्म–सन्देश संभळावी रह्या छे–जे
सामे पाने आपवामां आव्यो छे. गुरुदेवना जमणा हाथ तरफ (छेडे) संमेलनना अध्यक्ष अने
मध्यभारतना नाणाप्रधान श्री मिश्रिलालजी गंगवाल बेठेला छे; तथा गुरुदेवनी बीजी तरफ मध्य
प्रदेशना गवर्नर–राज्यपाल श्री एच. वी. पाटस्कर बेठेला छे. पाछळना भागमां बीजा प्रधानो वगेरे
बेठेला छे.
वैराग्य समाचार
जामनगरवाळा शेठश्री चुनीलाल हठीसंग सोनगढमां जेठ वद १३नी सवारमां ७३ वर्षनी वये
एकाएक स्वर्गवास पामी गया. सं. १९९१थी तेओ गुरुदेवना परिचयमां आवेला; मुंबईमां सोनगढ
साहित्यना वांचननी शरूआत तेमणे करेली, तथा जामनगर मुमुक्षु मंडळना तेओ प्रमुख हता.
जामनगरने तेओ छोटी काशी कहेता अने त्यां भव्य जिनमंदिर बंधाय ते माटे तेमने घणो उत्साह ने
भावना हती. शरीरमां हालवा चालवा वगेरेनी अनेक तकलीफो होवा छतां सोनगढ रहीने उल्लास
पूर्वक तेओ सत्समागमनो लाभ लेता हता. गुरुदेवना घणा प्रवचननी नोंध तेमणे करेली छे. तेमने
वांचन–श्रवण ने चर्चानो उत्साह हतो. स्वर्गवासना ३६ कलाक पहेलां (छेल्लीवार जेठ वद ११नी
बपोरे) तेओ गुरुदेवना प्रवचनमां आवेला ने ते प्रवचनमांथी केटलाक सार पण तेमणे लख्यो छे.
आगली रात्रे (एटले स्वर्गवास अगाउ ८ कलाक पहेलां) तो तेमणे एक कलाक सुधी आध्यात्मिक
चर्चा उत्साहथी सांभळी हती. ने सवारमां पांच वागे एकाएक हृदयरोगना हुमलाथी तेमनो
स्वर्गवास थई गयो. तेओ भद्र हता, ने धर्मात्मा प्रत्ये तेमनी भक्ति तथा साधर्मीओ प्रत्ये वात्सल्य
प्रशंसनीय हता, आ लेखक प्रत्ये पिता जेवुं वात्सल्य राखीने धर्म साधनमां उत्साहित करता.
सत्समागमनो विशेष लाभ लेवा तेमणे स्वाध्यायमंदिरनी बाजुमां ज नवुं मकान बंधावेल, छेल्ला
अठवाडियामां तो तेमने तत्त्व समजवा माटे विशेष जिज्ञासा जागी हती. सत्नी जिज्ञासाना संस्कार
चालु राखीने अने तेमां आगळ वधीने तेओ शीघ्र आत्मकल्याण साधे ए ज भावना.