: २२: आत्मधर्म: २३७
आध्यामिक सन्देश
अध्यात्मविद्या ते सर्वश्रेष्ठ विद्या छे.
भोपाल शहेरमां अध्यात्म संमेलनना उद्घाटन प्रसंगे अध्यात्मविद्यानो संदेश आपतां गुरुदेवे
कह्युं के– जगतनी सर्व विद्यामां चैतन्यनी अध्यात्मविद्या सर्वश्रेष्ठ छे. अध्यात्मविद्या विना बीजा कोई
क्रियाकांडमां जन्ममरणनो नाश करवानी ताकात नथी. सा विद्या या विमुक्तये– विद्या तेनुं नाम के
जेनाथी मुक्तिनुं कारण थाय. जेनाथी ८४ना अवतारनुं परिभ्रमण थाय ते कुविद्या छे. स्वानुभुति वडे
आत्माने जाणवो ते अध्यात्मविद्या छे. ने ते विद्या मोक्षनुं कारण छे. संसारसंबंधी अनेक विद्याओ जीव
अनंतवार शीख्यो छे, शास्त्रो पण भण्यो छे, परंतु जन्ममरणनो जेनाथी अंत आवे एवी
स्वानुभूतिरूप अध्यात्मविद्या जीव क्षणमात्र शीख्यो नथी. अंतर्मुख थईने रागथी भिन्न
चैतन्यस्वानुभूति वडे आत्मामां अध्यात्मविद्यानुं उद्घाटन थाय छे. आत्मामां ज्यां सम्यक्
मतिश्रुतज्ञान प्रगट्या त्यां अपूर्व अध्यात्मविद्या ऊघडी ज्यां आवी अध्यात्मविद्यानुं उद्घाटन थयुं त्यां
अल्पकाळमां पूर्णानंदनी प्राप्ति जरूर थाय छे. माटे आवी अध्यात्मविद्या शीखवा जेवी छे.
अध्यात्मविद्या ते भारतनी मूळ वस्तु छे. अंतरमां देहथी भिन्न चैतन्य स्वरूप छे तेना ध्यान
वडे शांति मळे छे. शांति पोताना स्वरूपमां छे पण जगत बहारना साधनमां ते ढुंढे छे. निजस्वरूपनी
ओळखाण वडे आत्मप्रसिद्धि जीवे कदी करी नथी. परनी प्रसिद्धि, दुनियानी प्रसिद्धि अनंतवार मळी,
पण स्वानुभव वडे पोताना आत्मानी प्रसिद्धि कर्या वगर जन्ममरणना फेरा टळे नहि ने शांति मळे
नहि. जीवननुं शोधन अने शांतिनी प्राप्ति अध्यात्मविद्या वडे थाय छे. स्वानुभवथी आत्माने ओळखे
तो आवी अध्यात्मविद्या खूले छे, ने ते ज अध्यात्म संमेलननुं खरूं उद्घाटन छे. ज्यां आवी
अध्यात्मविद्या ऊघडी त्यां आत्मामां शांतिना स्त्रोत वहे छे, सुख प्रगटे छे ने मुक्ति थाय छे.
गुरुदेवनी शांतरसझरती वाणीमां अध्यात्मविद्यानो सर्वोत्कृष्ट महिमा सांभळतां दस हजार
माणसोनी सभा खूब प्रसन्न थई हती. सम्मेलनना प्रमुखस्थानेथी बोलतां मध्यभारतना वित्तमंत्री
श्री मिश्रिलालजी जैने कह्युं हतुं के–
आजे आपणा सौभाग्यनो दिवस छे के आपणा देशना महान संत पू. श्री कानजीस्वामी
आपणी वच्चे बिराजमान छे; तेओ आ अध्यात्म संमेलनमां तथा धार्मिक महोत्सवमां आशीर्वाद
दईने मोक्षनो परम श्रेष्ठ रस्तो बतावशे. आ भौतिक साधनना बनावटी जीवनमां अटवायेला जीवोने
शांतिनो साचो रस्तो बताववा माटे सन्तो पृथ्वी पर विचरे छे. ते रीते पू. स्वामीजी सौराष्ट्रथी अहीं
पधार्या छे. तेओ अध्यात्मसन्देश संभळाववा आव्या छे, मने विश्वास छे के अहींनी जनता आवा
आध्यात्मिक–संमेलननो लाभ उठावशे ने स्वामीजीनो सन्देश झीलीने आध्यात्मिक शक्तिनी बढवारी
द्वारा आपणा महान देशनी शक्ति वधारशे.
अध्यात्मसंमेलनना उद्घाटन प्रवचनमां राज्यपाल श्री पाटस्करजीए कह्युं हतुं के–
अध्यात्मविद्या ए भारतनी एक विशिष्ट परंपरा छे. आत्मा शुं छे, ते क््यांथी आव्यो, क््यां जशे– ए
एक महत्वनो सवाल छे. रशिया के अमेरिकाए अवकाशमां रोकेट छोडयुं तेमां भौतिक प्रगति भले हो
परंतु आध्यात्मिक द्रष्टिए प्रगति नथी. ए आध्यात्मिक विषय तरफ ध्यान न जाय तो शांति नथी
मळती ने संघर्ष तथा हिंसा थाय छे. हुं प्रसन्नता अनुभवुं छुं के आजे अहीं महान आध्यात्मिक
सम्मेलननो प्रारंभ थाय छे, ने अध्यात्मनो सन्देश देनारा आवा अच्छा संत महात्मा अहीं पधार्या छे;
ते आपणी बधानी पुण्याई छे. आवा आध्यात्मिक संमेलनमां संमिलित थवानुं हुं मारुं कर्तव्य समजुं
छे. मने विश्वास छे के अहीं जे पवित्र कार्य थई रह्युं छे तेनो बधा लोको लाभ उठावशे.