Atmadharma magazine - Ank 239
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म: तंत्री: जगजीवन बावचंद दोशी
वर्ष: २० अंक ११ मो भादरवो
रयणत्तये अलद्धे ममिश्रोसी दीहसंसारे।
इव जिणवरेहिं भणियं तं रयणतं समायरह।।
रे जीव! सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप रत्नत्रयने नहि पामवाथी
तुं आ दीर्धसंसारमां भम्यो; माटे हवे तुं ते रत्नत्रयनुं उत्तम
प्रकारे आचरण कर–एम श्री जिनेश्वरदेवे कह्युं छे.
दसलक्षणधर्म सहित
ब्रह्मचर्य अंक (त्रीजो)
(२३९)