Atmadharma magazine - Ank 239
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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माननीय प्रमुखश्री पाठवे छे–
शु भे च्छा अ ने आ शी र्वा द
भादरवा सुद एकमना रोज आठ कुमारिका बहेनोए सोनगढमां ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
अंगीकार करी; ए प्रसंगे माननीय प्रमुख श्री नवनीतलालभाई सी. झवेरी मुंबईथी
आवेला, पण एकमनी सवारमां अगत्यना कारणसर तेमने एकाएक मुंबई जवुं पड्युं; तेथी
तेओश्री तरफथी ब्र. बहेनो प्रत्ये वात्सल्यपूर्वक शुभेच्छा अने आशीर्वादनो सन्देश अहीं
आपवामां आव्यो छे:–
धर्मवत्सला बहेनो! आजे तमे जीवनना एक नुतनपंथे प्रयाण करी रह्या छो–ए
आनंदनो प्रसंग छे, आत्महितना जे उत्तमध्येयपूर्वक तमे आ मंगलमार्गे प्रयाण करी रह्या छो
तेमां अनुमोदनापूर्वक हुं शुभेच्छा अने आशीर्वाद पाठवुं छुं के तमारा जीवनध्येयमां तमे
जल्दी सफळ थाओ! बहेनो! जे जीवनध्येयथी तमे आजे आ ब्रह्मचर्यदीक्षा अंगीकार करी छे
ते ध्येयनी सफळता माटे तमे सतत प्रयत्न करजो. गुरुदेवना ज्ञानवैराग्य पोषक उपदेशने
अने संतोना ज्ञानवैराग्यमय जीवनने सदा हृदयमां आदर्शरूपे राखजो. भगवती ब्राह्मी–
सुंदरीना के राजीमती–चंदनाना आदर्शजीवननुं स्मरण करावे एवा ज आदर्शमूर्तिओ पू.
बेनश्री–बेन तमारा जीवन आदर्शरूपे साक्षात् बिराजी रह्या छे, तेओश्रीनी मंगळछायामां
तमे तमारो आत्मविकास साधो ने जिनशासनने दीपावो... एवी अंतरनी शुभेच्छापूर्वक
तेमने धन्यवाद पाठवुं छुं
ब्रह्मचर्य अंक (त्रीजो)
‘आत्मधर्म’ नो आ अंक पहेलां तो ‘दसलक्षणी–पर्युषण अंक’ तरीके प्रगट करवानी
तैयारी हती; परंतु पछी आठ कुमारिका बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञाना प्रसंगना हर्षोपलक्षमां
आ अंक ‘ब्रह्मचर्य अंक’ तरीके प्रसिद्ध करवानुं नक्की थयुं; आ रीते आ त्रीजो–ब्रह्मचर्य अंक
प्रसिद्ध करतां अमने आनंद थाय छे. पहेलो ब्रह्मचर्यअंक छ बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा प्रसंगे
सं. २००पमां प्रसिद्ध थयो हतो; सं. २०१२मां १४ बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा प्रसंगे बीजो
ब्रह्मचर्यअंक प्रसिद्ध थयो हतो ने आजे आ त्रीजो ब्रह्मचर्यअंक प्रसिद्ध थाय छे. फरीफरीने पण
गुरुदेवनी मंगलछायामां आवा सुअवसर प्राप्त थाओ. आ अंकने माटे महावीरस्टुडिओना
भाईश्री कान्तिलालभाईए फोटाओ झडपथी तैयार करी आप्या छे, फूलछाब कार्यालये ब्लोको
तुरत ज करी आप्या छे अने आनंद प्रेसना अनुभाई तथा हसुभाईए झडपथी छापकाम
करी आप्युं छे, आ सौना सहकार बदल तेमना आभारी छीए. “आत्मधर्म”