Atmadharma magazine - Ank 239
(Year 20 - Vir Nirvana Samvat 2489, A.D. 1963)
(Devanagari transliteration).

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संत केरी शीतल आ छांयडी
पू. बेनश्रीबेननी चरणछायामां आठ ब्र. बहेनो
ऊभेली लाईन: वीणाबेन, निर्मळाबेन, ताराबेन, शारदाबेन, रंजनबेन, हर्षाबेन,
बंने बाजु बेठेला: सुबोधिनीबेन तथा कोकिलाबेन.
आत्माना प्रयत्न बाबतमां दिशा बतावतां पू. गुरुदेव घणा ऊंडाणमांथी कहे छे के
“आत्मस्वरूप शुं छे तेनो निर्णय करवानी धून लागवी जोईए... बधा न्यायोथी नक्की करवानी लगन
लागवी जोईए. बधाय पडखेथी अंदर नक्की न थाय त्यां सुधी सख न पडे. एम ने एम उपरटपके
जतुं करी न देवाय. अंदर मंथन करी करीने एवो द्रढ निर्णय करे के जगत आखुं फरी जाय तोय पोताना
निर्णयमां शंका न पडे. आत्माना स्वरूपनो आवो निर्णय करतां परिणतिनो वेग अंतरमां वळे छे.
आत्मानो अर्थी थईने आत्मानुं हित साधवा जे जाग्यो ते जरूर आत्महित साधे ज.
(ब्रह्मचर्य अंक नं. २ मांथी) (–पू. गुरुदेव.)