: २० : आत्मधर्म: २४०
जाणो छो.....?
* भगवान ऋषभदेवना मुख्य गणधर
कोण?
* भगवान ऋषभदेवना समवसरणमां
मुख्य आर्जिका कोण?
* भगवान ऋषभदेवना समवसरणमां
मुख्य श्रावका कोण?
* भगवान ऋषभदेवना समवसरणमां
मुख्य श्राविका कोण?
(जवाबो आ अंकमां अन्यत्र आपेल
छे.)
* भगवान महावीरना मुख्य गणधर
कोण?
* भगवान महावीरना समवसरणमां
मुख्य आर्जिका कोण?
* भगवान महावीरना समवसरणमां
मुख्य श्रावक कोण?
* भगवान महावीरना समवसरणमां
मुख्य श्राविका कोण? (जवाबो आ
अंकमां अन्यत्र आप्या छे.)
* अपराजित–विमानमां बे महान जीवो
साथे हता, त्यांथी नीकळीने बंने जीवो
तीर्थंकर थया, एक विदेहमां ने बीजा
भरतमां; एक जीव केवळज्ञान प्रगटावीने
तीर्थंकर थई गया, ने बीजा
हजी गृहस्थदशामां हता. विदेहक्षेत्रना ते तीर्थंकरना
समवसरणमां दिव्यध्वनिद्वारा भरतक्षेत्रना तीर्थंकरनी वात
आवी हती. –तो ए बंने महान जीवो कोण? ते शोधी
काढो.
(न जडे तो सोनगढना जिनमंदिरमां जडशे.
अथवा तो आत्मधर्मना आवता अंकमांथी शोधी लेजो.)
* भारतना सौथी महान शाश्वत तीर्थराज श्री
सम्मेदशिखरजी पर्वत उपर पच्चीसीटूंको छे; ते पच्चीस
टूंकोना नाम–
(१)ज्ञानधर टूंक (१०) ललित (१९)
(२) गणधर (११)
ऋषभदेव (२०) महावीर
(३) मित्रधर (१२) विद्युतवर (२१) प्रभासटूंक
(४) नाटक (१३) स्वयंभू (२२) सुवीरटूंक
(प) संबल (१४) (२३) सिद्धवरकूट
(६) संकूल (१प) (२४) नेमिनाथ
(७) सुप्रभ (१६) आनंद (२प) सुवर्णभद्र
(८) मोहन (१७)
(९) निर्जर (१८)
(आ पच्चीस टूंकमांथी कई टूंकेथी कोणमोक्ष
पाम्युं? ते संबंधी विगत आवता अंकमां.)
वि... वि... ध... स... मा... चा... र...
सोनगढमां दसलक्षणीयपर्युषणपर्व आनंदथी उजवाया हता. भादरवा सुद पांचमे भगवाननी
रथयात्रा नीकळी हती. भादरवा सुद दसमे सुगंधदसमीपर्व ऊजवायुं हतुं. वद एकमे दसलक्षणीयपर्व
नी पूर्णतानिमित्ते क्षमावणीपूजन तथा जिनेन्द्रदेवनो अभिषेक थयो हतो. पर्वदरमियान
पद्मनंदीपच्चीसीमांथी उत्तमक्षमादि धर्मोपर टुंकुं विवेचर गुरुदेवे प्रवचनमां कर्युं हतुं. ए सिवाय
समयसार कर्ताकर्म अधिकार तथा प्रवचनसारमां १९२ थी २०० सुधीनी गाथाओ वंचाणी हती. बीजा
पण दरेक स्थळे आनंदपूर्वक दसलक्षणीपर्व ऊजवाया हता. घणा स्थळेथी ते संबंधी विगतवार
समाचारो आव्या छे, ते बधानो सार अहीं आपवामां आव्यो छे. आ वखते घणा ठेकाणेथी
सोनगढथी वांचनकार भाईने मोकलवानी मागणी आवी हती, तेमांथी मुंबई, अमदावाद, राजकोट,
उज्जैन, विदिशा, आफ्रिका, बिजोलियां (राजस्थान),