
नथी थतो; ए तो हजी प्रयत्न उपडवानी पूर्व भूमिका ज छे.
जीवनमां ए अध्यात्मप्रेमरूपी दादरो हाथमां आव्यो के तरत
तेना पगथिया चडवाना छे. अध्यात्मप्रेम ए अनुभवनो दादरो
छे. अध्यात्मप्रेम जेटलो वधु तेटलो अनुभव नजीक.
परिणमेला धर्मात्मानी शी वात!! एवा संतना शरणमां रहीने
जीवनमां अध्यात्मप्रेमने वधु ने वधु पुष्ट करीए ने
जीवनसाधना सफळ बनावीए....ए जीवनमां एक ज कर्तव्य छे.