Atmadharma magazine - Ank 244
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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आत्मसाधक वीर बाहुबली
भरतचक्रवर्तीनी साथे त्रिविध युद्धमां बाहुबली विजेता थया; त्यारे
चक्रवर्तीए क्रोधपूर्वक तेना उपर चक्र छोड्युं, ते पण निष्फळ गयुं. आ प्रसंगे
बाहुबली (समर्थ होवा छतां पण) वैराग्य पामीने, उत्तम क्षमा भाव धारण करीने
निजस्वरूपने साधवामां तत्पर बन्या; भरत उपर क्रोधनो विकल्प पण तेमणे न
कर्यो; मुनि थईने अडगपणे स्वरूपमां सावधानीथी उत्तमक्षर्माधर्मना आराधक
बन्या.
क्रोधनी सामे क्रोध न करतां वैराग्यरूपी बख्तर वडे तेमणे पोताना
आत्मानी रक्षा करी..... उत्तम क्षमा भाव धारण करीने क्रोधने जीती लीधो. ने
वैराग्यथी तेओ वनमां चाल्या गया, रत्नत्रयनी आराधना करीने चैतन्य
साधनामां लीन थयां ने केवळज्ञान प्रगट करीने परमात्मा थया. ए रीते पोताना
आत्माने क्रोधवडे हणावा न दीधो ने उत्तम क्षमाधर्म आराधना पूर्वक अडगपणे
आत्मसाधनापूर्ण करीने परमात्मपद साध्युं.
उत्तमक्षमाना महान आदर्श आत्मसाधक संतने नमस्कार हो,
हे प्रभो! अमने पण एवी आत्मसाधना आपो.
हवे मात्र एक सप्ताह बाकी.
पू. गुरुदेवनी ७५मी जन्मजयंती (वैशाख सुख बीज) ना हीरकजयंती
महोत्सव प्रसंगे जे अभिनंदनग्रंथ समर्पण करवानो छे तेने माटे. –
(१) आपना गामना दि. जिनमंदिरनो फोटो (२) मूळनायक भगवाननो
फोटो तथा नाम (३) दि. जैनसंघ–अर्थात् मुमुक्षुमंडळनो ग्रूप फोटो अने (४) संघ
तरफथी श्रद्धांजलि–आटलुं आपे जो हजी न मोकल्युं होय तो तुरत मोकलवा विनंति
छे. आप आ सूचना वांचता हशो त्यारे फेब्रुआरीनुं पहेलुं सप्ताह चालतुं हशे, ने
बीजा सप्ताहमां ग्रंथनुं प्रीन्टींग शरू थशे. एटले हवे मात्र एक सप्ताह बाकी!
मोकलवानुं सरनामुं:– अभिनंदन ग्रंथसमिति
दिगंबर जैन: मुमुक्षुमंडळ
१७३, १७५ मुम्मादेवी रोड
मुंबई–२
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक : अनंतराय हरिलाल शेठ, आनंद प्रीन्टींग प्रेस–भावनगर