Atmadharma magazine - Ank 244
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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माह: २४९० आत्मधर्म : १:
पोन्नूरना सन्त
(मागसर वद आठमना मंगलदिने पू. गुरुदेवे संभळावेलो कुन्दकुन्द महिमा)
आजे भगवान कुंदकुंदस्वामीनो आचार्यपदारोहणनो महान दिवस छे. तेओ वनजंगलमां
वसता महान दिगंबर संत हता. अंतरमां आनंदनिधान भगवान आत्माना अनुभव उपरांत
घणी स्वरूप लीनताना झूले झूलता हता. लगभग २००० वर्ष पहेलां महाविदेह गया हता......
त्यांथी भगवाननी दिव्यध्वनिनो संदेश लाव्या, ने अहीं आवीने आ प्रवचनसार वगेरे शास्त्रो
रच्या छे, मद्रासथी ८० माईल दूर पोन्नूर पहाड छे त्यां तेओ ध्यान करता हता ने त्यांथी विदेह
गया हता. ने त्यांज शास्त्रो रच्या हता. त्यां तेमना प्राचीन चरण पादुका छे. उपर चंपाना झाड
छे, बे गूफाओ छे. जूना शिलालेखोमां पण लखाण छे के कुंदकुंद आचार्य महाऋद्धि धारी संत
हता, अने तेमने जमीनथी चार आंगळ उपर चालवानी लब्धि हती; विदेहक्षेत्रे जईने तेमणे
सीमंधरपरमात्मानी वाणी सांभळी हती.
आत्मा एकांत (रागथी ने देहथी पार, एकत्व ज्ञानस्वरूप) छे ने ए स्थान पण एकांत
छे. त्यां सं. २०१५मां यात्रा करी हती; ते स्थान घणुं सरस छे. माह सुद १४ने सोमवारे फरीने
दर्शन करवानो लाभ मळ्‌यो.
अहा, भरतक्षेत्रना मुनिए सदेहे महाविदेहक्षेत्रनी यात्रा करी! भगवानना साक्षात् भेटा
कर्यां! केटली तेमनी योग्यता!! केवी तेमनी पवित्रता!! बाहुबलिना ५७ फूटना प्रतिमा
श्रवणबेलगोलमां छे; जे दुनियानी आश्चर्यकारी वस्तुमां गणाय छे. त्यां बे पहाडो छे, तेना उपर
पण कुंदकुंदआचार्यदेव संबंधीघणा शिलालेखो छे; त्यां पण फरीने जात्रा करवा जवानुं छे.
एवा भगवान कुंदकुंदस्वामीने चतुर्विध संघे आचार्यपदे स्थाप्या–ते दिवस आजे छे.
अहा, ज्यारे तेओ आचार्यपदे आ भरते विचरता हशे–ए केवो काळ हशे! अहा! आ समयसार
वगेरेमां तो अध्यात्मना दरिया खुल्ला मुक्या छे. अरे, आत्मा! तुं ज परमात्मा छो..... युक्तिथी,
अनुभवथी, गुरुपरंपराथी ने सर्वज्ञनी वाणीथी मेळवेला आचिंत्य निजवैभवथी तेमणे
शुद्धात्मानुं स्वरूप बताव्युं छे. प्रवचन एटले दिव्यध्वनि तेनो सार आ प्रवचनसारमां तेमणे
भरी दीधो छे. भवसागरनो किनारो तेमने तद्न नजीक आवी गयो हतो. आ भरतक्षेत्रना जीवो
उपर तेमनो महान उपकार छे.