Atmadharma magazine - Ank 245
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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पोन्नूर यात्रा–अंक आत्मधर्म : III :
लाग्यो..... ईत्यादि आनंदकारी भक्ति करतां करतां, तीर्थंकरोने––संतोने अने
तीर्थधामोने याद करतांकरतां रात्रे मूडबिद्रि आवी पहोंच्या.
मूडबिद्रिमां यात्रासंघ बे दिवसे रोकयो. माह सुद चोथे त्यांना सुप्रसिद्ध
त्रिभुवन– तिलकचूडामणि जिनालयमां समूह पूजन थयुं, तेमज रत्नमय जिनबिंबोना
दर्शन कर्या. मूडबिद्रि गाममां समाजमंदिरमां गुरुदेवना स्वागतनो समारोह थयो हतो.
रात्रे भक्ति थई हती. बीजे दिवसे सवारे पूजन बाद मूडबिद्रिना अनेक जिनमंदिरोना
दर्शन कर्या. अहीं अढार जेटला जिनमंदिरो छे. घणा यात्रिको कारकल जईने बाहुबली
भगवानना तथा अनेक जिनमंदिरोना दर्शन करी आव्या. बपोरे रत्नप्रतिमादर्शन बाद
प्रवचन थयुं अने ताडपत्रना शास्त्रो (ज्यधवला वगेरे) नुं अवलोकन कर्युं. रात्रे
त्रिभुवनतिलकचूडामणि जिनालयमां दीपमाला–दर्शन थयुं. हजारो दीपकोथी झगझगता
मंदिरमां जिनेन्द्रदर्शननुं द्रश्य घणुं सुंदर लागतुं हतुं. ए वखते भक्तिमां कानडी भजनो
पण गवाया हता.–आम मूडबिद्रिनो बे दिवसनो कार्यक्रम पूरो थयो हतो. बीजे दिवसे
सवारमां श्रवणबेलगोला तरफ जतां वच्चे वेणूरस्थित बाहुबलि भगवानना तथा
जिनमंदिरोनां दर्शन कर्या.
मूडबिद्रिथी श्रवणबेलगोल तरफ जतां वच्चे साडाचार हजार फूट ऊंचो ने
लगभग १६ माईल लांबो चारमडीघाट ओळंगीने मोटरो बीजी तरफ ऊतरी. रस्तानी
एक बाजु हजारो फूट ऊंडी खीणो ने बीजी बाजु ऊंची पहाडी, ऊंचा ऊंचा वृक्षोनी
घनघोर घटा, क्यांक क्यांक रमणीय झरणा ने वांकाचूंका रस्ताओ–एवा आ घाटनां
द्रश्यो यादगार छे. सवारे छ वागे नीकळी सांजे पांच वागे श्रवणबेलगोल पहोंच्या.
वच्चे बेलूरनो मठ ने हळेबिडना प्राचीन जिनमंदिरो जोया. लगभग पंदर माईल दूरथी
यात्रिकने श्रवणबेलगोलना पहाड उपर बिराजमान बाहुबलिनाथना शिरोभागना
दर्शन थाय छे. रात्रे जिनमंदिरमां चोवीस भगवंतो सन्मुख भक्ति थई.
माह सुद सातमनी सवारमां गुरुदेव सहित यात्रा माटे ईन्द्रगिरि पहाड उपर
चाल्या..... पंदर–वीस मिनिटमां पहाड उपर पहोंचीने ज्यां बाहुबलिनाथने
नीहाळ्‌या..........के हर्षानंदथी सौ स्तब्ध बनी गया.... आ वीतरागीढीमना दर्शने
शांतिनी ने हर्षनी एटली बधी ऊर्मिओ जागे छे के क्षणभर तो वाणी तेने व्यक्त करी
शकती नथी. गुरुदेव पण स्तब्धनयने फरी फरी ए पावनमुद्राने अवलोकी रह्या.
त्यारबाद बाहुबलीभगववाननी बे पूजा थई; ने गुरुदेवे तेमज बेनश्रीबेने भक्ति
करावी. ए रीते आनंदपूर्वक यात्रा करीने नव वागे नीचे आव्या, ने दक्षिणदेशनी
जनताए उमंगपूर्वक गुरुदेवने गाममां फेरवीने स्वागत र्क्युं; स्वागत पूरुं थतां कन्नड
बालिकाओए दीपकथी ने पुष्प वगेरेथी ने गुरुदेवनुं