Atmadharma magazine - Ank 245
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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पोन्नूर यात्रा–अंक : I :
‘श्री बाहुबलि भगवाननो जय हो.... आनंदामृतनो जय हो’
बाहुबलि भगवाननी यात्राना हर्षोल्लास प्रसंगे, बाहुबलि
भगवाननी सन्मुख बेठा बेठा पू. गुरुदेवे उपर मुजब हस्ताक्षर लखी
आप्या हता.... ए उरथी बाहुबलि भगवानना दर्शन वखतनो
तेमनो प्रमोद अने उल्लास ख्यालमां आवशे. दिवसे अने रात्रे
(सर्चलाईटना प्रकाशमां) फरीफरीने ए बाहुबलि प्रभुना दर्शन करतां
खूब ज बहुमानथी गुरुदेव कहेता के वाह! एमना मुख उपर जुओ
ने! केवा अलौकिक भाव तरवरे छे! पुण्यनो अतिशय, ने पवित्रता
पण अलौकिक.... बंने देखाई आवे छे. ज्ञान अंतरमां एवुं लीन थयुं
छे के बहार आववानो अवकाश नथी. वीतराग भावमां ज्ञान लीन
थयुं छे. मोढा उपर अनंत आर्श्चयवाळी वीतरागता छे: जाणे
चैतन्यनी शीतळतानो बरफ! ! अत्यारे दुनियामां एनो जोटो नथी.