
राजुलना वैराग्यना रणकार ऊठे छे; बीजी टूंके अनिरुद्धकुमार तपस्या करीने
मुक्ति पाम्या छे; त्रीजी टूंक शंबुकुमारना मोक्षगमनथी पावन थई छे; ऊंची ऊंची
नेमिनाथप्रभुना मोक्षकल्याणकथी पावन थयेली पांचमी टूंक भव्यजीवोने मोक्षनो
सन्देश आपी रही छे. आ उपरांत सहेसावनना शांत–अध्यात्म वातावरणमां
छे... एथी पण थोडा नजीक आवीए तो, भगवान धरसेन आचार्यदेवे
चंद्रगूफामां पुष्पदन्त–भूतबलि मुनिराजने जे पावन ज्ञान आप्युं तेनो नजरे
महान संघसहित सौराष्ट्रमां पधारीने आ तीर्थनी जे प्रभावशाळी यात्रा करी
तेनो इतिहास पण आ गिरनार आजे होंसथी संभळावी रह्यो छे. अने
पण विशाळ संघसहित आ पावनतीर्थधामनी यात्राओ करी, ने हमणां चैत्रमां
फरीने पण तेओश्री आ तीर्थधाममां दर्शन करी आव्या. सौराष्ट्रना भूषणस्वरूप
छीए...अने गुरुदेव साथेनी आ पवित्र साधनाभूमिनी यात्राना वैराग्यभर्या
मधुर संस्मरणो ज्ञान–वैराग्यनी ने आनंद–मंगलनी वृद्धिनुं कारण हो...एम
धर्मात्माने देखीने तथा चिंतवीने, मनथी–वचनथी
ने कायाथी आनंदरूप थवुं, तेमना दर्शन–
करवो, ते मुदितभावना छे.