Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 83

background image
कुंदकुंदप्रभु आशीष आपे...
गुरु कहानना ए जन्मने हां भक्तो, सौ भक्तो भावे ऊजवे रे...
जयजयकार गजावी आजे... मंगलनादे वधावे रे... कहानना ए जन्मने...
हीरकजयंति आनंदे सौ मुंबई नगरे मनावे,
‘हिन्दुस्तानना हीरा’ने सौ मोती–हीरले वधावे रे...
कहानना...
धननन नादे गगन गजावी आनंदभेरी बजावे...
अनेक ज्योति झगमग दीपकमाला झबके रे...
कहानना...
कुंदकुंदप्रभु आशीष आपे देवा पुष्प वधावे...
उमंगभर्या भक्तोनां हैयां गुरुदेव–अभिनंदे रे...
कहानना...
जन्मवधाइ सुणतां आवे देशोदेश सन्देशा...
चिरंजीवो चिरंजीवो, चिरंजीवो गुरुदेवा रे...
जय जय होजो, जय जय होजो, जय जय तारीजगमां रे... कहानना...