Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्री कानजीस्वामी–हीरकजयंती–अभिनंदन–अंक
वैशाख सुद २ः ३७ः
[रागः भज भज प्यारे भज भगवान...]
वंदीये विदेहना भगवानछे सीमंधर रूडा नाम
हृदय बिराजो मारा नाथ!भावुं छुं हुं तो दिनरात....।। टेक।।
दूर दूर प्रभु तारो देश,पहोंचुं कई विध हजुर जिनेश!
प्रभुजी देखो ज्ञान मोझार,सेवक वंदे वार हजार.....वंदीये
अम अनाथनो छे तुं नाथ,शिवपुरनो तुं साचो साथ;
नित नित ऊठी करुं प्रणाम,पाउं जीवन के अभिराम.... वंदीये
चंदा आवे नित नित नाथ,संदेश पूछुं तारा नाथ;
फिर फिर भेजुं दरशन काज,जाव चंदाजी देखो नाथ.... वंदीये
चंदा के’छे सुणो! जिन–दास,वाणी सूणी जिननी आज;
धर्मवृद्धिना आशिष आज,भरतना भक्तोने भेजे नाथ...वंदीये
कहानगुरु शासन शिरताज,शोभे छे शासन युवराज;
सी
मं


जि

स्त

जय जय वरते भरते आज,जैन धरमना जय जयकार.... वंदीये