Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्री कानजीस्वामी–हीरकजयंती–अभिनंदन–अंक
ः ३६ः वैशाख सुद २
वांचो जोइए–आ मंत्र!
उपर एक सरस मजानो मंत्र आप्यो छे; आ वखते दक्षिणयात्रामां गयेला त्यारे
टूम्कुर नामना गाममां जिनमंदिरमां ए लखेलुं छे...शुं लख्युं छे?–नथी ऊकलतुं? जरा
फरीने जुओ....दरेक लाइनना पहेला अक्षरो तो सरखा ज छे ने! हा....अने छेल्ला
अक्षरो पण पांचेय लाइनमां सरखा छे. बस, पांच लाइन, एनो पहेलो अने छेल्लो
अक्षर सरखो, ने जिनमंदिरमां ए लखेलुं....हवे तो तमे उपरनुं लखाण जरूर वांची
शकशो....वांचो जोइए. अरे, तमने ए मंत्र आवडे छे छतां वांची नथी शकता? तो
आवता अंकमां गुजरातीमां वांचशोजी.
–जयजिनेन्द्र