
नदीना पूलनुं.–ए द्रश्य तो छे सोनगढना जिनमंदिरनुं! हजी तमे न ओळख्युं? सं.
२०१२मां ज्यारे सोनगढनुं मोटुं जिनमंदिर बंधातुं हतुं अने तेनी छत भराती हती
आवेला, ते ज उपरना चित्रमां देखाय छे. आ उपरथी जिनमंदिरनी भव्यतानो ने
मजबूतीनो ख्याल आवी शकशे.
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जन्मस्थळ छे पोन्नूरधाम. चारेय भाईओ झरीयनना सुंदर वस्त्राभूषणथी सोनगढना
स्वाध्यायमंदिरमां शोभी रह्या छे....कहानगुरुने ए चारेय भाईओ बहुज वहाला छे,
ने एमनी पासेथी हंमेशा कंइक ने कंइक नवुं जाणे छे. जोके तेमने बीजा पण केटलाक
भाईओ छे, पण आ चार भाईओ तो जैनशासनमां अजोड छे....अनेक संतमुनिओए
तेमनुं बहुमान कर्युं छे....ने कोइक मुनिओए तेमनी टीका पण करी छे....
‘आत्मधर्म’ना आवता अंकमां तमने ए चारे भाईओना दर्शन थशे.