
वगेरेना १०९ जेटला आकर्षक द्रश्यो उपरांत श्रद्धांजलि अने अभिनंदनसूचक
१प१ जेटला लेखो काव्यो वगेरे छे....तेमां मुमुक्षु भक्तजनोनी विविध उर्मिओ
नजरे पडे छे.
चित्रोनुं संकलन छे. ए चित्र दर्शन पछी पानुं २०१ थी २७२ सुधी ‘प्रवचन
विभाग’ द्वारा आपणने गुरुदेवनो अध्यात्म सन्देश जाणवा मळे छे,–जेमां
पचास जेटला शास्त्रो उपरना गुरुदेवना प्रवचनोनुं दोहन भरेलुं छे. पछी
उपदेश–रत्नाकरमांथी ७प रत्नो झळके छे....पछी चित्रकथा विभागमां सोनगढना
अनेक चित्रो अने तेनी टूंकी कथाओ सौने गमी जाय तेवी छे. त्यार पछी
‘तीर्थयात्रा’ विभागमां तीर्थोनो महिमा अने रंगबेरंगी द्रश्यो, तथा तीर्थयात्राना
संभारणां वांचकने आनंदित करे छे. ३१२ पानां पछी २८ पानांना परिशिष्टमां
केटलीक विविध वानगी साथे गुजराती विभाग पूरो थाय छे.....त्यारबाद
अभिनंदन ग्रंथनो हिन्दी विभाग शरू थाय छे...३०४ पानांना आ विभागमां
शरूआतमां श्रद्धांजलि–अभिनंदन संबंधी १२० जेटला लेखो छे, अनेक
जिनमंदिरो वगेरेना द्रश्यो छे; पछी पृ. १०९थी शरू थता लेखांजलि विभागमां
वीस उपरांत लेखो छे; पछी श्रुतधर आचार्यो अने विद्वानोनो परिचय छे. अने
त्यार पछी अंतभागमां षटखंडागम वगेरे सत्श्रुतनो परिचय छे.–आखुंय पुस्तक
सुंदर–सुशोभित छे. आ पुस्तकनी किंमत अंदाज रूा. १८ होवा छतां तेनी किंमत
मात्र रूा. ६ राखवामां आवी छे. संपादक समितिमां पं. फूलचंद्रजी सिद्धांतशास्त्री,
पं. हिंमतलाल जे. शेठ; खीमचंद जे. शेठ अने ब्र. हरिलाल जैन; मुंबई
मुमुक्षुमंडळ तरफथी आ पुस्तक प्रकाशित थयुं छे.