Atmadharma magazine - Ank 247
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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श्री कानजीस्वामी–हीरकजयंती–अभिनंदन–अंक
ः ७०ः वैशाख सुद २
अभिनन्दन ग्रंथ
भारतना अध्यात्मसाहित्यनुं एक गौरव
भारतना भूषणस्वरूप महान अध्यात्मसंत पू.
श्री कानजीस्वामीनी ७पमी जन्मजयंती प्रसंगे
मुंबइनगरीमां हीरकजयंतीमहोत्सव उजवायो. ते प्रसंगे
तैयार थयेल एक सुन्दर अभिनन्दन ग्रंथ–जे वैशाख सुद
त्रीजे पू. श्री कानजीस्वामीने अर्पण करवामां आव्यो ते
ग्रंथ भारतना अध्यात्मसाहित्यनुं एक गौरव छे; अहीं
ते ग्रंथनुं विहंगावलोकन आप्युं छे.
(ब्र. ह. जैन)
गुरुदेवने अर्पण करवामां आवेल अभिनंदनग्रंथना चांदीनी कारीगरीवाळा ने
हीरले मढेला पूंठा उपर नजर पडतां ज हृदय त्यां आकर्षाई जाय छे. हीरक
जन्मोत्सवना आनंदप्रसंगने आलेखता ए रंगबेरंगी चित्रमां, गुरुदेव उपर जाणे के
तीर्थंकरभगवंतो आशीर्वाद वरसावी रह्या होय–एम २४ भगवंतोनी हारमाळा सौथी
उपर नजरे पडे छे...ए मीनाकारीमां एक विशेषता ए छे के चोवीसे भगवंतोना वर्ण
ते–ते भगवंतोना वर्ण–अनुसार छे. अने झवेरातथी झगझगतुं नाम आ ग्रंथना
गौरवने प्रसिद्ध करी रह्युं छे.
पछी, गुरुदेवना मंगलहस्ताक्षरपूर्वक ग्रंथना प्रारंभमां ज गुरुदेवना
आशीर्वाद नजरे पडे छे...ने गुरुदेवनुं रंगबेरंगी भव्यचित्र जोतां चित्त प्रसन्न थाय
छे....एमने अभिनंदीने अने निवेदनो वांचीने, पछी ‘गुजराती विभाग’ शरू थाय
छे. मंगलाचरणमां पंचपरमेष्ठीना स्तवन अने जैनझंडाना गीत पछी तरत
सोनगढनुं भव्य जिनमंदिर अने सीमंधर भगवानना रंगबेरंगी मनोहर चित्रनां
दर्शन थाय छे, ने घडीभर चित्त थंभी जाय छे. पछी चालीस पानां सुधी केटलाक
चित्रोसहित गुरुदेवनो जीवनपरिचय अने तेमना द्वारा थयेली जिनशासननी
प्रभावनानुं वर्णन छे.