Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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मुंबईनगरीमां हीरकजयंती प्रसंगे पू. श्री कानजीस्वामीने ता. १३–५–६४ना रोज
माननीय श्री लालबहारदुरजी शास्त्री अभिनंदन ग्रंथ समर्पण करी रह्या छे.
ग्रंथ अर्पण कर्या बाद शास्त्रीजीए लगभग १५ मिनिट भाषण कर्युं हतुं, भाषणमां
तेमना छेल्ला शब्दो आ हता–“××मुझे बडी प्रसन्नता हूई. मैं फिर एकवार अपना
आदर सन्मान और श्रद्धांजलि प्रगट करता हूं. और यह निवेदन करता हूं कि जो मार्ग–
जो रास्ता अहिंसा और शांतिका, चरित्रका, नैतिकताका आप दिखाते है उस पर यदि
हम चलेंगे तो उसमें हमारा भी भला होगा, समाजका भी होगा, व देशका भी होगा,”