द्रुष्टाष्टकर्मो क्षय करे सम्यक्त्वना परिणमनथी.
वळी सिद्धता–सौ नरवरो, महिमा बधो सम्यक्त्वनो.
ते धन्य छे सुकृतार्थ छे,
त्रणकाळ ने त्रणलोकमां समकित सम नहि श्रेय छे,
मिथ्यात्व सम अश्रेय को नहि जगतमां आ जीवने. ३४
Atmadharma magazine - Ank 248
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).
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