Atmadharma magazine - Ank 250
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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ः ३२ः श्रावणः २४९०
अमारो आि्रफ्रकानो पत्र.............
मोम्बासा, केन्या ता. १प–७–६४
“...........पू. गुरुदेवनुं निरंतर स्मरण रहे छे, तेओश्रीनो विरह भूलातो नथी.
तेओश्रीना रेकोर्डिंग प्रवचनो अहीं सांभळीने संतोष राखीए छीए...बीजुं पू.
गुरुदेवनी हिरकजयंति मुंबईमां घणी ज धामधूमथी आनंदपूर्वक उजवाणी अने
लगभग पांच मासनो यात्राविहार पण निर्विघ्न थयो ते बधा समाचारो ‘आत्मधर्म’
मां जाणी आनंद थयो छे. पू. गुरुदेवनी हीरकजयंतिनो अभिनंदनग्रंथ प्रसिद्ध थयेल ते
ग्रंथ अहीं नाईरोबीना मुमुक्षु भाईओ पासे जोवा मळेल, ते जोइने खूब आनंद थयो
छे. तेवो ज अंक हीरकजयंतीनो ‘आत्मधर्म’नो अमोने मळेल, ते वांची–जोइने आनंद
थयो छे. आ बंने अंकोनी संकलना अने पू. गुरुदेवना फोटाओनी गोठवणी तथा
अभिनंदनपत्रो वगेरे जोतां आपे खरेखर गुरुदेवना भावोमां ऊंडा ऊतरीने भावथी
संकलना करी गोठवी छे. आवुं अपूर्व कार्य पू. गुरुदेवना प्रतापे ज अने भगवती
बहेनश्री–बहेनोनी प्रेरणाथी ज बन्युं होय तेवा भावो अंदर नीतरी रह्या छे. आवा
कार्य माटे घणा महिनाओ सुधी सतत प्रयत्न करेलो हशे. आवा ग्रंथोथी सत्धर्मनी
वृद्धिनुं मोटुं कारण छे. खोटा मतने माननाराओने पण आ अंको सत्धर्मनी रुचि करावे
तेवा अति सुंदर ग्रंथो बन्या छे. ‘आत्मधर्म’ ना अंकना छेल्ला पूंठा उपर तीर्थोनी जे
रचना गोठवीने पू. गुरुदेव सम्मेदशिखरमां मोक्षसिद्धि माटे जइ रह्या छे तेवो भाव
दर्शावतुं चित्र जोइने घणो ज आनंद ऊछळे छे. तेवी ज रीते चित्र नं. ७प सुधी पू.
गुरुदेवनी बधी चेष्टाओ बतावीने साक्षात् पू. गुरुदेवना अंतरभावो जाणे प्रेरणा
आपी रह्या होय! सत्धर्मना मार्गे चडावनारा पू. गुरुदेवना भावो नीरखीने हैयुं
आनंदथी नाचे छे.......
ली. शाह भगवानजी कचराभाईना
सद्गुरुवंदन
ललितपुरथी पं. परमेष्ठीदासजी लखे छे–
“आज अभिनंदनग्रंथ और मंगल–तीर्थयात्रा ग्रंथोकी पारसल मिल गई; दोनों
ग्रंथ देखकर अत्यधिक प्रसन्नता हूई...आप सबने दोनो ग्रंथ छपाकर प्रशस्त कार्य किया
है. मंगल तीर्थयात्रा का हिन्दी संस्करण छपे तो बहुत लाभकारक होगा...समस्त ग्रंथ
नयनाभिराम अति सुन्दर और उपयोगी है. मन तृप्त हो गया.” (ता. ४–८–६४)
मंगल–तीर्थयात्रा......... किंमत रूा. ८/– पोस्टेज रूा. र=प०
अभिनंदन ग्रंथ.......किंमत रूा. ६/– (प्लास्टीकनुं पूंठुं रूा. १ वधुं) पोस्टेज रूा. र=७प
प्राप्तिस्थानः जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट,–सोनगढ (सौराष्ट्र)