Atmadharma magazine - Ank 252
(Year 21 - Vir Nirvana Samvat 2490, A.D. 1964)
(Devanagari transliteration).

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आसोः २४९०ः पः
द्रष्टिमां जीवतो नथी, एटले के तत्त्वद्रष्टिवंत ज्ञानीने पर साथे कर्ताकर्मभाव जरापण
भासतो नथी. ज्ञानने परज्ञेय साथे कंई पण तात्त्विक संबंध नथी. जो परने जाणती
ज्ञानपर्याय परमां चाली जाय तो तो चेतयिताना स्वद्रव्यनो ज नाश थाय;
ज्ञानपर्यायनो नाश थतां आत्मानो ज नाश थइ जाय. ज्ञानपर्याय तो सर्वे परद्रव्योथी
जुदी ने जुदी, आत्मामां ज तन्मय रहे छे.
सम्यग्दर्शन थतां केवा अभेद आत्मानो निर्विकल्प अनुभव थाय छे–तेनुं स्वरूप
अलौकिक रीते आचार्यदेवे समजाव्युं छे. चेतयिताना अनुभवमां कोई भेदनुं–विकल्पनुं
अवलंबन छे ज नहि. भेदना रागनी दिवाल वच्चे राखीने आत्मानो अनुभव थाय
नहि. भाई, तारे तारा शुद्ध आत्माने ध्येय करवो होय ने सम्यग्दर्शनज्ञान सिद्ध करवा
होय तो ज्ञानने अंतर्मुख करवुं ते ज तेनी रीत छे; पण ‘आ मारुं स्व ने हुं तेनो
स्वामी’–एम एकला पोतामां स्व–स्वामी अंशना भेद पाडवा, ते भेदरूप व्यवहार वडे
कांई साध्य नथी. अहा, अंदरनो छेल्लामां छेल्लो जे सूक्ष्म व्यवहार, आचार्यदेव कहे छे
के, ते व्यवहारथी पण कंइ ज साध्य नथी. महान पदार्थ भगवान आत्मा छे ते एवो
नथी के विकल्प वडे हाथमां आवी जाय.
जुओ, व्यवहारथी पार आवो शुद्ध अनुभव चोथा गुणस्थानथी शरू थइ जाय
छे, आवो अनुभव जेणे कर्यो छे ते गृहस्थ पण मोक्षमार्गी छे, ने आवा अनुभव
विनानो मोही साधु ते मोक्षमार्गी नथी; ए वात समन्तभद्र महाराजे रत्नकरंड
श्रावकाचारमां करी छे. अहा, मोक्षमार्ग अंतरमां क्यां छे तेनी लोकोने खबर नथी, तो
तेनी खबर विना कार्यसिद्धि क्यांथी थाय? स्वतत्त्वना वेदनमां ‘हुं मारो ज छुं’ एवा
विकल्पनी वृत्तिनुं उत्थान ज क्यां छे? शुं तारे विकल्पमांथी चैतन्यतत्त्वने साधवुं छे?
आ ‘समयसार’ नी वात छे, ‘समयसार’ कोण छे? राग के विकल्प ते कांइ
समयसार नथी. विकल्प वगरनी शुद्धआत्मानी अनुभूति ते समयसार छे. पक्षथी
अतिक्रांत एटले व्यवहारना विकल्पोथी पार एवा आत्माना स्वानुभवरूप जे
परिणम्यो ते ज समयसार छे. सम्यग्दर्शन प्राप्त करवानी प्रथम दशा आवी होय छे.
आवी दशा वगर बीजी कोइ रीते सम्यग्दर्शननी सिद्धि थती नथी. ‘आ ज मार्ग छे ने
बीजो मार्ग नथी’–आम ज्यां सुधी द्रढ निर्णय न करे त्यां सुधी वीर्यनो वेग ते तरफ
ऊपडे नहीं. अहा, चैतन्यराजा राग वडे ए राजाना भेटा थाय नहि; ए राजाने भेटवा
तो अंतरद्रष्टिना अनेरा भेटणां आपवा जोइए.