Atmadharma magazine - Ank 254
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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तंत्री: जगजीवन बावचंद दोशी
वर्ष २२: अंक २: वीर सं. २४९१ मागशर
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श्री पद्मप्रभमुनिराज नेमिनाथ भगवाननी स्तुति करे छे–

शतमखशतपूज्य प्राज्यसद्बोधराज्यः।
स्मरतिरसुरनाथः प्रास्तदुष्टाधयूथः।।
पदनतवनमाली भव्यपद्मांशुमालीः।
दिशतु शमनिशं नो नेमिरानन्दभूमिः।।१३।।
जेओ सो ईन्द्रोथी पूज्य छे. जेमनुं सद्बोधरूपी
(सम्यग्ज्ञानरूपी) राज्य विशाळ छे. कामविजयी
(लौकांतिक) देवोना जे नाथ छे, दुष्ट पापोना समूहनो
जेमणे नाश कर्यो छे. श्रीकृष्ण जेमनां चरणोमां नम्या छे,
भव्यकमळना जे सूर्य छे. (अर्थात् भव्योरूपी कमळोने
विकसाववामां जे सूर्य समान छे), ते आनंदभूमि
नेमिनाथ (–आनंदना स्थानरूप नेमिनाथ भगवान)
अमने शाश्वत सुख आपो.
–नियमसार.
२प४