स्वभाव ज्ञानरूप रहेवानो छे. अज्ञानरूप थवानो
रहेवानो छे. दुःखरूप थवानो एनो स्वभाव नथी,
प्रभुत्वनो स्वभाव प्रभुतारूप रहेवानो छे, पामर
थवानो प्रभुत्वनो स्वभाव नथी.–एम आत्माना
दरेक गुणनो स्वभाव गुणरूप–शुद्धतारूप थवानो
छे. पण दोष के अशुद्धतारूप थवानो कोई गुणनो
स्वभाव नथी. एटले मलिनता–विकार के दोष : ते
खरेखर आत्माना गुणनुं कार्य नथी तेथी तेने
खरेखर आत्मा कहेता नथी. स्वशक्तिसन्मुख
आत्मा छे.