Atmadharma magazine - Ank 258
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : आत्मधर्म : ३१ :
युद्ध अने वैराग्य
धन्य ते बाहुबलीनाथीने.......के जेणे युद्धभूमिने वैराग्यभूमि बनावी दीधी....ने
मोहविजेता बनीने केवळज्ञानचक्र साधीने चैतन्यचक्रवर्ती थया तेमने नमस्कार.
शांत परिणाम थाय त्यारे.....
जब अपनेमें शांत परिणाम होता है तभी ख्यालमें आता है कि भीतरमें
कितनी महिमा भरी हुई है! एकवार स्वका चखें बादमें तो परिणति कहीं नहीं घूम
सकती.
जैन दर्शन शिक्षण वर्ग
उनाळानी रजाओमां जैन विद्यार्थीबंधुओ
माटेनो धार्मिक शिक्षणवर्ग सोनगढमां वैशाख सुद
१४ ने शुक्रवार ता. १४–प–१९६प थी शरू थशे; ने
जेठ सुद बीज बुधवार ता. २–६–१९६प ना रोज
पूर्ण थशे. आ शिक्षणवर्गमां अभ्यास माटे
आववानी जेमनी ईच्छा होय तेमणे “श्री जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ” ए सरनामे खबर
आपवा, ने वर्गमां टाईमसर आवी जवुं.
विद्यार्थीओ माटे रहेवानी तथा भोजननी व्यवस्था
संस्था तरफथी करवामां आवशे. आ शिक्षणवर्ग
मात्र भाईओ माटे छे.