Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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उजंबा झुलावे कुंवर कहानने रे, उजंबा कहे छे कुंवर कहानने रे....
कुंवर कहानने रे मोती–नंदने रे, उजंबा झुलावे....कुंवर कहानने रे...
मारा हैयाना हार हे कानुडा रे, तुं शोभावजे कूंख मुज...उजंबा झुलावे.
तुं थाजे शासननो हीरलो रे, तुं फूंकजे अध्यात्मना शंख.....उजंबा कहे छे.
तारी मुद्रा पर तेज देखुं आत्मना रे, मारा हृदयमां हर्ष उभराय....उजंबा झुलावे.
बचपणे झूलो हीर–दोरियो रे, पछी झूलजो अध्यात्मरस मांय....उजंबा झुलावे.
हे कानु! अवतार तारो सफळ छे रे, धन्य थया छे अम कूळ ग्राम...उजंबा झुलावे.
धर्मवृद्धि करजे तुं देशमां रे, थाशे सत्यना जयजयकार....उजंबा कहे छे.
‘चिरायु थजो ने आत्मवृद्धि हजो, आपे आपे आशीष ए मात....उजंबा झुलावे.