घननन नादे घंट गजावी मंगल भेरी बजावे...
जन्मवधाई सूणतां जागे भक्तो सौ भारतना,
हर्षभर्या हैयांथी बोले चिरंजीवो गुरुदेवा... रे...
Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).
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