बीजा नयनो विकल्प एवो छे के वस्तु पर्यायरूप छे.–आवा नयविकल्पवडे वस्तु
अनुभवमां आवती नथी, बंने नयना विरोधने मटाडीने, अने शुद्धआत्मानो आश्रय
करावीने जिनवचन शुद्धस्वरूपनो निर्विकल्प अनुभव करावे छे.
पर्याय बधुं छे, पण तेमां विकल्प नथी; विकल्पने असत् कह्यो छे, पर्यायने असत् नथी
कीधी, पर्याय तो अंदर भळी गई छे, ने विकल्प छूटी गयो छे. निश्चयनयनो जे विषय
छे ते कांई जूठो नथी, पण अनुभवदशामां एनो विकल्प नथी, माटे विकल्पने जूठो
कह्यो छे. आवा अनुभव वडे मिथ्यात्वनुं सहजपणे वमन थई जाय छे. ज्यां आत्माना
स्वभावने उपादेय करीने परिणति ते तरफ वळी त्यां मिथ्यात्व सहजपणे छूटी गयुं.
परिणतिने अंतरअनुभवमां वाळ्या वगर लाख उपाये पण मिथ्यात्व छूटे नहि, अने
परिणति ज्यां अंर्तस्वभावमां वळी त्यां मिथ्यात्वभाव सहेजे ज छूटी गयो, त्यां तेने
टाळवानो जुदो प्रयत्न करवो नथी पडतो.
जीवोमां पण कांई बधाय मोक्ष पामी जता नथी, तेमांथी केटलाक जीवो मोक्षना
अधिकारी छे, ते मोक्षगामी भव्य जीवोना मोक्षमां जवाना काळनुं माप छे, ते केवळी
भगवान जाणे छे. जेओ मोक्ष पामशे तेओ शुद्धात्माना अनुभवथी ज मोक्ष पामशे.
क््यो जीव केटलोकाळ वीततां मोक्ष पामशे तेनी नोंध केवळज्ञानमां छे. एटले के
केवळज्ञानीना ज्ञानमां ते बधुं लखाई गयुं छे– जणाई गयुं छे.
ते ज्ञान पण केवळज्ञाननी जातिनुं थईने मोक्षमार्ग तरफ चाल्युं.