जोतां गुरुदेवे लागणीथी कह्युं हतुं के अरे, संसारनी आ स्थिति जोईने तो वैराग्य आवी
जाय एवुं छे. जन्म देनारा मातापिता पण ज्यां शरणरूप नथी थता एवो आ अशरण
संसार! तेमां ज्यांंसुधी आत्मानी ओळखाण न करे त्यांसुधी जीवनी आ
Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).
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