Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: ७४ : आत्मधर्म : वैशाख :
(राजकोट ता. २प–४–६प)
* राजकोट शहेरमां पू गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. सवारे तथा बपोरे
* चैत्र सुद पूनमना रोज पू. गुरुदेव जामनगर शहेर मुरब्बी श्री वीरजीभाईने
* चैत्र वद पांचम श्रीमद्राजचंद्रजीना समाधिमरणनो दिवस छे, राजकोटमां
* चैत्र वद छठ्ठे पू. गुरुदेव ‘काठियावाड–निराश्रित बालाश्रम’ नी मुलाकाते
पधार्या हता. त्यां बे–चार दिवसथी मांडीने पंदर वर्ष सुधीना सेंकडो निराधार बाळकोने
जोतां गुरुदेवे लागणीथी कह्युं हतुं के अरे, संसारनी आ स्थिति जोईने तो वैराग्य आवी
जाय एवुं छे. जन्म देनारा मातापिता पण ज्यां शरणरूप नथी थता एवो आ अशरण
संसार! तेमां ज्यांंसुधी आत्मानी ओळखाण न करे त्यांसुधी जीवनी आ