Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : आत्मधर्म : ७प :
ज स्थिति छे. आत्मानी समजण करवी ते ज आ संसारथी छूटवानो उपाय छे. अहीं
गुरुदेवे घणी सुगम शैलीथी बालोपयोगी बोध आप्यो हतो ने कह्युं हतुं के “एम
विचारी अंतरे, शोधे सद्गुरु योग; काम एक आत्मार्थनुं, बीजो नहि मन रोग”
अहींना बाळको माटे ‘जैनबाळपोथी’ आपवामां आवी हती.
*
राजकोटना समवसरणमां तथा मानस्तंभमां बिराजमान थनारा भगवंतोना
जिनबिंबो चैत्र वद आठमे जयपुरथी आवी पहोचतां उल्लासपूर्वक तेमनुं स्वागत
करवामां आव्युं हतुं.
*
ता. २२–४–६पना रोज श्री राजकोट दि. जैनसंघ तेमज बहारगामना अनेक दि.
जैन भाई–बहेनोनी एक खास सभामां, श्री सम्मेदशिखरजी–तीर्थधाम संबंधमां बिहार
सरकार अने श्वेतांबर जैनसमाज वच्चे एकपक्षी करार थयेल छे अने जे दि.
जैनसमाजमां हक्कोने अन्यायकर्ता छे–तेना विरोधनो प्रस्ताव सर्वानुमते पसार
करवामां आव्यो हतो, तथा माननीय राष्ट्रपति, वडाप्रधान वगेरेने ते ठराव मोकली
आपवामां आव्यो हतो. सौराष्ट्रभरमां, तेमज गुजरात मुंबई अने भारतना घणा
स्थळोएथी आ प्रकारना विरोधना ठरावो करवामां आव्या छे. सम्मेदशिखर तीर्थना
प्रतापे आ प्रश्ननो तुरतमां योग्य नीवेडो आवी जाय–एवी आशा राखीए. (प्रस्ताव
नीचे मुजब छे–)
राजकोट के दिगम्बर जैन समाज की जनरल सभा में पारित प्रस्ताव
सौराष्ट्र प्रान्तके पाटनगर राजकोट की समस्त दिगम्बर जैन समाजकी यह
जनरल सभा यह प्रस्ताव पारित करती है कि बिहार सरकार तथा श्वेताम्बर जैन
समाजके मध्य जो शाश्वत तीर्थधाम श्री सम्मेदशिखरजी [पार्श्वनाथहिल] के बारे
में इकरार नामा हुआ है वह एकपक्षीय तथा–अन्यायपूर्ण है।
बिहार सरकारने दिगम्बर जैन समाजके प्रतिनिधि मंडलको यह विश्वास
और आश्वासन दिया था की पार्श्वनाथ पर्वतके बारे में जो भी समझौता जैनों के
साथ किया जाएगा उस में दिगम्बर जैन समाज के हको का ख्याल रखा जाएगा
तथा समान प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। लेकिन उसके विपरीत उस ईकरार नामे
में दिगम्बर जैन समाज के अधिकारों व स्थापित हकोंका कोई भी उल्लेख नही
किया गया है। और न दिगम्बर जैन समाज को पक्षकार ही बनाया गया है जैसे
के दिगम्बर जैन समाज को ईस पर्वत से तथा उसकी पवित्रता से कोई संबंध
ही न हो। यहां तक कि दिगम्बर समाज का ईकरार नामा में कही भी नामोल्लेख
तक नहीं है बल्कि श्वेताम्बर समाज के जो एक नहीं थे उन्हे मान्य