Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: ७६ : आत्मधर्म : वैशाख :
किया गया है। यह बहुत ही शोचनीय व दुःख की बात है।
श्वेताम्बर समाजने जो आन्दोलन किया था परंतु ईकरार नामा करते
समय सिर्फ अपने ही नाम का उल्लेख कराया है और अपने मतलब की ही सब
बातें लिखवा ली है। यह श्वेताम्बर समाज का दिगम्बर जैन समाज के प्रति
अन्याय है। उनका यह कार्य जैन समाज की एकता का घातक है। लोकशाही
सरकारके जमाने में भी बिहार सरकारने यह अन्याय कोग्रेंस के कतिपय वरिष्ठ
महानुभावों के दबाव में आकार किया है यह बात जाहिर है।
अतः यह सभा दिगम्बर जैन समाज के साथ जो अन्याय हुवा हे उस पर
खेद प्रगट करती हुई बिहार सरकार तथा श्वेताम्बर समाज से आग्रहपूर्वक
निवेदन करती है कि उक्त ईकरारनामा में शीघ्र ही उचित सुधार करदे जिस से
दिगम्बर जैन समाज के प्रति अन्याय व असन्तोष दूर हो। साथ ही आज की यह
सभा भारतीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी से अनुरोध करती है कि यदि बिहार
सरकार तथा श्वेताम्बर समाज यह अन्याय दूर न करे तो अपने न्यायपूर्ण
अधिकारों के लिए व ठोस प्रयत्न व उचित कानुनी कार्यवाही करे।
साथ ही साथ आज की यह सभा समस्त भारत की दिगम्बर जैन
संस्थाओं एवं ‘समाज से अपील करती है यह समाज के जीवन मरणका प्रश्न है
अतएव इस एकपक्षीय ईकरार नामे का देशीव्यापी विरोध करें।
दिनांक २२–४–१९६५
रामजी माणेकचंद दोशी
श्री जैन दिगम्बर मंदिर, राजकोट प्रमुख श्री दिगम्बर जैन संघ
शुद्धि
आ अंकना पृ. ९ मां बीजा हेडींगमां “शुं केवुं?” ने बदले “शुं करवुं?” वांचवुं?