Atmadharma magazine - Ank 259
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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“मने हवे गमे नहि संसार.... मारे जावुं पेले पार”
स्था. दीक्षाप्रसंगे हाथी उपरना वरघोडानुं एक द्रश्य (उमराळा : सं. १९७० मागशर
सुद ९)
हाथी उपर बेसवा जतां गुरुदेवनुं वस्त्र फाटयुं हतुं; – ते द्वारा कुदरत जाणे के एम
सूचवती हती के आ वस्त्रसहित मुनिदशानो मार्ग– ते तमारो मार्ग नथी; तमारो खरो
मार्ग तो जेमां वस्त्ररहित मुनिदशा छे एवी दिगंबर–वृत्तिनो छे. ए ज मार्गे तमारे
जवानुं छे.