Atmadharma magazine - Ank 260
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ: आत्मधर्म :११:
पंचकल्याणक महोत्सवपूर्वक श्री जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा थया बाद
आ रीते गुरुदेवना प्रतापे पंदरमां जिनेन्द्र–पंचकल्याणनो प्रतिष्ठा–महोत्सव
राजकोटमां आनंदोल्लास पूर्वक उजवायो,–ते भव्य जीवोनुं कल्याण करो. राजकोट
नगरीमां आवो पंचकल्याणक महोत्सव उल्लासपूर्वक उजववा माटे राजकोटसंघना सर्वे
साधर्मीओने धन्यवाद.
* * *
राजकोटमां जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा करीने बीजे दिवसे (वैशाख सुद १३)
सवारमां श्री जिनेन्द्र भगवानना दर्शन अने स्तवन करीने पू. गुरुदेवे सोनगढ तरफ
प्रस्थान कर्युं. पू. गुरुदेव सोनगढ पधारतां सोनगढनी समस्त जनताए हर्षोल्लासपूर्वक
आनंदभर्युं स्वागत कर्युं.....ने सुवर्णनुं वातावरण अध्यात्मनी मधुर हवाथी मघमघी
ऊठयुं.