Atmadharma magazine - Ank 260
(Year 22 - Vir Nirvana Samvat 2491, A.D. 1965)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : आत्मधर्म : प :
* राजकोट–महोत्सव समाचार *
भव्य समवसरण अने उन्नत मानस्तंभमां जिनेन्द्रप्रतिष्ठा
आनंद अने उल्लासथी उजवायेल
श्री जिनेन्द्र–प्रतिष्ठानो पंदरमो पंचकल्याणक–महोत्सव
पू. गुरुदेवनो ७६मो मंगल–जन्मोत्सव
पू. श्री गुरुदेवद्वारा जैनधर्मनी महान प्रभावना दिनोदिन
वृद्धिगत थई रही छे; वीतरागी देव–गुरु–शास्त्रनो जे अपार
महिमा तेओश्री समजावे छे तेना प्रतापे हजारो भक्तो
प्रभावित थाय छे, ठेरठेर जिनमंदिरो बंधाय छे, ने तेमां
जिनेन्द्रप्रतिष्ठाना मंगल महोत्सवो उजवाय छे. एवो पंदरमो
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठामहोत्सव आ वैशाख मासमां राजकोट
शहेरमां उजवायो. अनुक्रमे सोनगढ (१९९७), सोनगढ
(१९९८) वींछीया, लाठी, राजकोट, सोनगढ (२००९),
पोरबंदर, मोरबी, वांकानेर, लींबडी मुंबई (२०१प)
जामनगर, जोरावरनगर, मुंबई (२०२०) तथा राजकोट
(२०२१) आ रीते पंदर वखत पंचकल्याणक प्रतिष्ठामहोत्सव
थया. आ उत्सवमां साथे साथे वैशाख सुद बीजनो ७६मो
जन्मोत्सव पण राजकोटमां उजवायो. आ उत्सव प्रसंगे
राजकोटमां एक महिना सुधी कलशटीका उपर अध्यात्मरसनी
धारा गुरुदेवे वरसावी. अहीं उत्सवना मधुर संभारणा
आप्यां छे.
ब्र. ह. जैन (सं)
चैत्र वद ८ ना रोज राजकोटना समवसरण–मंदिरना पहेला गढनो पहेलवहेलो
आरसनो पाषाण मुकवानुं मुहूर्त थयुं; मंगल तरीके गुरुदेवना सुहस्ते ते पाषाणशीला
उपर स्वस्तिक करावीने चणतरनो प्रारंभ थयो; संघनी बीजी अग्रगण्य व्यक्तिओना
हस्ते पण मुहुर्त थयुं. आ रीते समवसरणनी रचनानो प्रारंभ थयो. आरसनुं
समवसरण सुंदर अने भव्य बन्युं छे.
पंचकल्याणक प्रतिष्ठामहोत्सव संबंधी विधि–विधाननो मंगलप्रारंभ वैशाख सुद
एकमना प्रातःकाळे थयो. सवा लाख जापनी