Atmadharma Regd. No. 182
शान्तिका सच्चा रास्ता
(ब्र. ह. जैन)
मुंबईनगरीमां गुरुदेवने ‘हीरकजयंति–अभिनंदन
ग्रंथ’ अर्पण कर्या पछी श्री लालबहादूरजी शास्त्रीए करेला
भाषणमां छेल्ला शब्दो आ हता– “मुझे बडी प्रसन्नता हूई.....
मैं फिर एकबार अपना आदर सन्मान और श्रद्धांजलि प्रगट
करता हूं, और यह निवेदन करता हूं कि जो मार्ग–जो रास्ता
अहिंसा और शांतिका, चरित्रका, नैतिकताका आप दिखाते
है उस पर यदि हम चलेंगे तो उसमें हमारा भी भला होगा,
समाजका भी होगा, व देशका भी होगा ” –खरी वात छे
शास्त्रीजी! देशनुं समाजनुं के व्यक्तिनुं हित ते ज मार्गे छे के जे
मार्ग पू. कानजी स्वामी जेवा सन्तो दर्शावी रह्या छे. –आपणा
राष्ट्रमां ए मार्गनो उद्योत थाओ.
(कटोकटीनी घडीए एकाएक हाजर थईने माननीय
शास्त्रीजीए गुरुदेवने जे अभिनंदन–ग्रंथ अर्पण कर्यो ते
ग्रंथनी थोडी ज नकलो सिलकमां छे. किंमत छ रूपीआ: प्राप्ति
स्थान: जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट: सोनगढ सौराष्ट्र)
श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक: अनंतराय हरिलाल शेठ, आनंद प्रिन्टींग प्रेस–भावनग