Atmadharma magazine - Ank 266-267
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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वीर सं. २४९२ मागशर : वर्ष २३ : अंक २
परिणामने स्व तरफ उल्लसाव
गृहकार्य–संसारकार्य तरफना परिणाम जेटला
ओछा जाय तेटलुं सारूं; वधुमां वधु परिणाम
आत्माना हित तरफना थाय ए खास जरूरी छे, ए
परपरिणाम तो जीवने झट सुगम थई जाय छे,
स्व–परिणाम माटे खूब ज जागृत रहेवानुं छे.
सतत उद्यम वडे स्वपरिणामने सहज करवाना छे.
आत्मानी अपार लगनीथी स्व. तरफनो तीव्र अने
ऊंडो अभ्यास जगाडतां पर तरफना परिणाम तूटी
जशे, ने स्व तरफना परिणामथी अपूर्व आत्महित
सधाशे. हे जीव! आत्मलगनी एवी लगाड के
स्वपरिणाम सुगम बनी जाय ने परपरिणाम
बोजारूप लागे. आवी आत्मप्रीति करीश त्यारे तने
तारुं आत्मसुख अनुभवमां आवशे.
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(मागशर–पोष संयुक्त अंक वर्ष २३ अंक २–३ सळंग नंबर २६६–२६७)