Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४९२ आत्मधर्म : ४१ :
त्रण प्रश्नो
बाळको, तमने तत्त्वज्ञाननो प्रेम जागे, ने नवुं नवुं जाणवानुं मळे, ते माटे अहीं
त्रण प्रश्नो आप्या छे; घणा बाळको नाना होवाथी प्रश्नो तद्न सहेला पूछया छे; तेना
जवाब लखी मोकलजो–साथे तमारे कांई नवो प्रश्नो पूछवो होय तो ते पण लखी
मोकलजो.
प्रश्न (१) जीव कोने कहेवाय?
प्रश्न (२) अजीव कोने कहेवाय?
प्रश्न (३) आपणा पहेला अने छेल्ला
भगवाननुं नाम शुं?
आना जवाब दरेक बाळके पोताना हस्ताक्षरमां ज लखवा; ने नीचेना सरनामे
मोकलवा संपादक आत्मधर्म, जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ (सौराष्ट्र)
* * *
बाळकोने पत्र
* तमे ‘बालविभाग’ ना सभ्य थया ने उत्साहपूर्वक धर्ममां रस लई रह्या छो ते
बदल तमने धन्यवाद! बंधुओ! जीवनमां धर्म जेवुं उत्तम बीजुं कांई नथी.
* तमारा मित्रोने पण बालविभागना सभ्य थवानुं कहेशो. सभ्य थवा माटे
पोस्टकार्डमां नाम, सरनामुं, उंमर, अभ्यास अने जन्मदिवस–एटलुं लखी
मोकलवुं. छापेल कार्ड न होय तो सादा कार्ड पण चाले. (संपादक आत्मधर्म,
सोनगढ: सौराष्ट्र ए सरनामे मोकलवुं)
* तमे जे कांई लखी मोकलो ते तमारा पोताना हस्ताक्षरमां ज लखी मोकलशो.
तमारा अक्षर सुधारवानो प्रयत्न करजो.
* अत्यार सुधीमां जेटला बाळमित्रो आपणा बालविभागना सभ्य थया छे, तेमां
बाळमंदिरमां एकडिया भणता बाळको पण छे ने कोलेजमां भणता बाळको पण
छे; सौ आनंदथी भाग लई रह्या छे. सभ्योना नाम आ अंकमां छाप्या छे. तमे
हजी सुधी सभ्य न थया हो तो हजी पण सभ्य थई शको छो.
* बालविभागमां दरेक बाळके नियमित भाग लेवो प्रश्नोना जवाब लखवा, अने
दरेक वखते पोतानो सभ्य नंबर पण लखवो.