Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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Atmadharma Regd. No. 182
प्रा...सं...गि...क
(संपादकीय) जगदस्थिरम्”
ता. ११ ने मंगळवारनो दिवस...त्यारे तो आखो भारत देश जाणे वैराग्यना
वातावरणथी छवाई गयो हतो. लोकोने क््यांय चेन पडतुं न हतुं...सर्वत्र उदास–उदास
वातावरण वडे संसार पोतानी असारताने प्रसिद्ध करतो हतो. आपणा भारतदेशना
वडा प्रधान श्री लालबहादुर शास्त्रीनो एकाएक देहांत थई गयो!–भारतमां नहि पण
रशियाना ताश्कंद शहेरमां; एकला नहि पण मोटा मोटा नव दाकतरोनी वच्चे! एमना
देहांतना समाचारथी देश अने दुनिया खळभळी ऊठया. उत्तमकाळ होत तो आ प्रसंगे
असार संसारथी विरकत थईने केटलाय जीवो मुनिपणाना मार्गे सिधाव्या होत!
वीतरागी सन्तोए सर्व प्रसंगे उपयोगी वैराग्यनो एक टूंकाक्षरी महामंत्र आप्यो छे
के जगदस्थिरम्–जगत अस्थिर छे. आ टूंको मंत्र आखा जगत प्रत्ये केवी उदासीनता
करावे छे! आखुंये जगत ज्यां अस्थिर छे, परिवर्तनशील छे त्यां कोनो तुं शोच करीश?
अस्थिरता उपर पग मांडीने तुं क््यां ऊभो रहीश! संतो कहे छे–भाई, आवा अस्थिर
जगत प्रत्ये तुं विरक्त था..विरक्त था....ने अंतरमां धु्रवपणे प्राप्त एवा कोईक तत्त्वने देख.
आपणा समाजने शास्त्रीजीनो विशेष परिचय मुंबईमां ई. स. १९६४ ना मे
मासनी १४ मी तारीखे थयो...के ज्यारे अभिनंदन ग्रंथ अर्पण करवा माटे आववानुं
पोते आपेलुं वचन पाळवा तेओ छेक छेल्ली घडीए सभामां एकाएक उपस्थित
थया..एमनी आर्यवृत्ति सौजन्य, स्वतंत्र विचारधारा अने गमे ते परिस्थितिमां
पोताना विचारने अमलमां मुकवानी द्रढता–ए बधानो परिचय ए वखतेय तेमना
भाषणमां देखातो हतो...अहिंसाना पण तेओ प्रशंसक हता; देशोदेश वच्चे लडाई न
थाय ने शान्त वातावरण सर्जाय तेना तेओ खूब ज हिमायती हता, ते माटे ज तेओ
रशिया गयेला ने पोतानो प्रयास पूरो कर्या बाद थोडा ज कलाकोमां तेमनो देहांत थई
गयो. एटली झडपथी आ बधुं बनी गयुं के सामान्य जनता सूनमून बनी गई.
काळचक्रे झडपथी दोडीने जाणे शास्त्रीजीने झडपी लीधा..परंतु ज्यां जगत अस्थिर छे
त्यां वैराग्य सिवाय बीजो शो उपाय? अनित्यताना आवा झडपी बनावो ते आपणने
ढंढोळे छे के अरे जीव! जेटली झडपथी काळ वीत्यो जाय छे तेना करतां वधु झडपथी तुं
तारुं आत्महित साधी ले; समयनी राह जोईने अटक नहि.
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श्री दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट वती प्रकाशक अने
मुद्रक:– अनंतराय हरिलाल शेठ आनंद प्रिन्टींग प्रेस: भावनगर