Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 54 of 55

background image
विद्युत लक्ष्मी, प्रभुता पतंग, आयुष्य ते तो जलना तरंग;
पुरंदरी–चाप अनंग–रंग शुं राचिये ज्यां क्षणनो प्रसंग!
राजा राणा छत्रपति हाथिनके असवार,
सबको मरना एकदिन अपनी अपनी बार.
शास्त्रीजीना उद्गार: “जो मार्ग जो रास्ता अहिंसा और शांतिका,
चरित्रका, नैतिकताका आप दिखाते है उस पर यदि हम चलेंगे तो
उसमें हमारा भी भला होगा, समाजका भी होगा व देशका भी होगा।
(मुंबई ता. १४–१२–६४)