Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ४८ : आत्मधर्म : माह : २४९२
अत्यारथी जैनसमाज जागृत बन्यो छे...आपणे पण ‘जागृत’ बनीए ने प्रभुए जे
पंथ बताव्यो ते पंथे झडपी प्रयाण करीने आठ वर्षमां तो जेटला बने तेटला महावीर
भगवाननी वधुमां वधु नजीक पहोंची जोईए. (–सं)
तीर्थनी स्थापना
उदयपुरमां तीर्थराज श्री सम्मेदशिखरजीनी प्रतिमूर्ति करावीने, ता. प–१२–६प
ना रोज तेनी वेदीप्रतिष्ठा करवामां आवी छे.
गतवर्षना (सं. २०२१) ना कारतक मासना “आत्मधर्म” ना अंको (अंक नं.
२प३) नी लगभग पचास नकलनी आत्मधर्म कार्यालयने जरूर छे; तो जेओ फाईल
न करता होय ने ते अंक आपी शके तेम होय तेओ आत्मधर्म कार्यालय, सोनगढ
(सौराष्ट्र) ए सरनामे ते अंक मोकली आपे एवी विनति छे. तेना बदलामां तेमने
सीमंधरभगवाननो एक नानो फोटो मोकलवामां आवशे.
वैराग्य समाचार
(नोंध: जे समाचारो संपादनविभागमां लेखित मळ्‌या होय तेने ज आ
विभागमां स्थान अपाय छे. मौखिकवातने के मोडा मळेला समाचारने स्थान अपातुं
नथी.)
*
फतेपुरना भाईश्री अमृतलाल लल्लुभाई शाह ता. १६–१२–६प ना रोज ४प
वर्षनी उमरे जीपना अकस्मातमां स्वर्गवास पामी गया; तेओ सोनगढ
शिक्षणवर्गमां आवेल हता.
* श्री अगरसींग शीवुजी राठो (सुरेन्द्रनगर) तेओ गत मासमां स्वर्गवास
पाम्या छे. तेओ कोन्ट्राकटर हता ने जामनगरनुं भव्य जिनालय बांधवामां
तेमणे उत्साहथी भाग लीधो हतो...
* घाटकोपरना भाईश्री गुलाबचंद भगवानजी मेघाणीना मातुश्री शीवबेन ता.
१०–१२–६प ना रोज ७प वर्षनी वये स्वर्गवास पामी गया, तेओ गतवर्ष
राजकोट प्रतिष्ठा महोत्सवमां तथा सोनगढ पण आवेला.
* गढडाना भाईश्री लालचंद गोविंदजी अजमेरा ता. १६–१२–६प ना रोज
स्वर्गवास पाम्या. (ब्र. गुलाबचंदभाईना तेओ कुंटुंबी थाय)
* स्वर्गस्थ आत्माओ धर्मसंस्कारवडे आत्महित पामो–एम ईच्छीए छीए; अने
भावना भावीए छीए के आ क्षणभंगुर जीवननी अत्यंत किंमती पळो
सत्संगमां आत्महित माटे ज वीतो.