Atmadharma magazine - Ank 268
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: माह : २४९२ आत्मधर्म : ४७ :
करवा माटे मोटो मंच बांधवो पडे छे ने बीजी घणी तैयारीओ करवी पडे छे.
भारतभरमांथी लाखो यात्रिको आ महाअभिषेक जोवा आवे छे; ते वखते तो भारतनो
उत्तर छेडो ने दक्षिण छेडो–ए बंने छेडा यात्रिकोनी हारमाळाथी जोडाई जाय छे.
आजथी लगभग ६०० वर्ष पहेलां (ई. सन १३९८मां) आ बाहुबली
भगवाननो महामस्तकाभिषेक थवानो शिलालेखमां उल्लेख छे ने त्यार पहेलां एवा
सात महा अभिषेक थई गयेला. त्यार पछी बीजा १३ महाअभिषेक ई. स. १९प३
सुधीमां थया. आ अभिषेकमां मेसुर नरेश पण भक्तिपूर्वक उपस्थित रहे छे.
ई. सन. १९४०ना महा मस्तकअभिषेक वखते १००८ कळश नीचे मुजब हता:–
प१ सुवर्ण कलश. ३०० रजत कलश. ३०० जर्मन सील्वर ३प७ पीतळना कळश
प्रथम सुवर्ण कळश फलटना शेठ केवलचंद उगरचंदजीए रूा. ८००१) मां लीधो हतो; सर
शेठ हुकमीचंदजी (ईन्दोर) ना भागे सातमो कळश रूा. २१०० नी बोलीमां आव्यो हतो.
११००रूा. मां कळशनी बोली बोलनारा १३ महानुभावोमां एक कलकत्ताना
तुलारामजी नथमलजी पण हता. कळशनी उछामणीमां कूल आवक रूा. ७७१९३ थया
हता. (पचीस वर्ष पहेलानां जमानामां) अने लगभग पांच लाख जेटला यात्रिकोए
ते वखते लाभ लीधो हतो. जवाहरलाल नहेरु अने अनेक अंग्रजोए पण आ
प्रतिमानी अद्भुतता देखीने आश्चर्य व्यक्त कर्युं छे. गुरुदेवे संघसहित बे वखत यात्रा
करी छे. बीजी घणी घणी आनंदकारी माहिती कोईवार प्रगट करीशुं.
भगवान महावीरनो अढीहजारमो निर्वाण उत्सव
आजथी २४९२ वर्ष पहेलां आ भरतक्षेत्रमां अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर
परमात्मा विचरी रह्या हता ने दिव्यध्वनिवडे भव्य जीवोने मोक्षमार्ग देखाडता
हता..भव्यजीवोने मोक्षमार्ग देखाडीने प्रभुजी पावापुरीथी मोक्ष पधार्या..एने अत्यारे
२४९२ वर्ष थया..आठ वर्ष पछी एने अढी हजार (२प००) वर्ष थशे. प्रभुए
बतावेला मोक्षमार्गनो मंगल प्रवाह संतजनोनी परंपराथी अत्यारे पण आ
भरतक्षेत्रमां वही रह्यो छे ने ठेठ पंचमकाळना अंतसुधी (एटले के हजी १८प०० वर्ष
सुधी) ए मार्ग चाल्या करशे. आवा मोक्षमार्गप्रदर्शक प्रभुना मोक्षनो दिवस दीपावली
तरीके उजवीने भारतना जैनो तेमने याद तो करे ज छे. , परंतु आठ वर्ष पछी ज्यारे
२प०० (अढीहजार) मो निर्वाणदिवस आवशे त्यारे ते भारतनो एक अपूर्व महोत्सव
हशे...भारतना खुणेखुणे त्यारे महावीरना नाद गूंजता हशे. ए महान प्रसंग माटे