भारतभरमांथी लाखो यात्रिको आ महाअभिषेक जोवा आवे छे; ते वखते तो भारतनो
उत्तर छेडो ने दक्षिण छेडो–ए बंने छेडा यात्रिकोनी हारमाळाथी जोडाई जाय छे.
सात महा अभिषेक थई गयेला. त्यार पछी बीजा १३ महाअभिषेक ई. स. १९प३
सुधीमां थया. आ अभिषेकमां मेसुर नरेश पण भक्तिपूर्वक उपस्थित रहे छे.
प्रथम सुवर्ण कळश फलटना शेठ केवलचंद उगरचंदजीए रूा. ८००१) मां लीधो हतो; सर
शेठ हुकमीचंदजी (ईन्दोर) ना भागे सातमो कळश रूा. २१०० नी बोलीमां आव्यो हतो.
ते वखते लाभ लीधो हतो. जवाहरलाल नहेरु अने अनेक अंग्रजोए पण आ
प्रतिमानी अद्भुतता देखीने आश्चर्य व्यक्त कर्युं छे. गुरुदेवे संघसहित बे वखत यात्रा
करी छे. बीजी घणी घणी आनंदकारी माहिती कोईवार प्रगट करीशुं.
हता..भव्यजीवोने मोक्षमार्ग देखाडीने प्रभुजी पावापुरीथी मोक्ष पधार्या..एने अत्यारे
२४९२ वर्ष थया..आठ वर्ष पछी एने अढी हजार (२प००) वर्ष थशे. प्रभुए
बतावेला मोक्षमार्गनो मंगल प्रवाह संतजनोनी परंपराथी अत्यारे पण आ
भरतक्षेत्रमां वही रह्यो छे ने ठेठ पंचमकाळना अंतसुधी (एटले के हजी १८प०० वर्ष
सुधी) ए मार्ग चाल्या करशे. आवा मोक्षमार्गप्रदर्शक प्रभुना मोक्षनो दिवस दीपावली
तरीके उजवीने भारतना जैनो तेमने याद तो करे ज छे. , परंतु आठ वर्ष पछी ज्यारे
हशे...भारतना खुणेखुणे त्यारे महावीरना नाद गूंजता हशे. ए महान प्रसंग माटे