Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९२ आत्मधर्म : २९ :
२९१ कमलेश रमणलाल जैन राजकोट ३०७ महेश मनसुखलाल जैन अमदावाद
२९२ रोहितकुमार सी जैन राजकोट ३०८ मुकेश मनसुखलाल जैन अमदावाद
२९३ प्रकाश मनसुखलाल जैन मुंबई ६२ ३०९ मुकेश जयंतिलाल जैन व्यारा
२९४ हर्षलता मनसुखलाल जैन मुंबई ६२ ३१० अशोक वीरचंद जैन मुडेटी
२९प शैला मनसुखलाल जैन मुंबई ६२ ३११ मंजुलां अभेचंद जैन उमराळा
२९६ राजेश नटवरलाल जैन मुंबई ६६ ३१२ रेखा अभेचंद जैन उमराळा
२९७ शरदकुमार जैन उज्जैन ३१३ घनश्याम चंदुलाल जैन लातुर
२९८ प्रेमलता जैन उज्जैन ३१४ सुरेशचन्द जैन बडी सादडी
२९९ मुकेश कान्तिलाल जैन मुंबई ६४ ३१प मनमोहन जैन उज्जैन
३०० नरेश जेठालाल जैन चोरीवाड ३१६ चित्तरंजन जैन उज्जैन
३०१ अरविंद धरमचंद जैन प्रांतिज ३१७ मोतीलाल खेमराज जैन खैरागढराज
३०२ कल्पना बटुकलाल जैन राजकोट ३१८ प्रेमचंद खेमराज जैन
३०३ उर्मील दलीचंद जैन राजकोट ३१९ कमलेश दुल्लीचंद जैन
३०४ मीना विनयचंद जैन राजकोट ३२० परेश खीमचंद जैन जामनगर
३०प नरेन्द्र रमणलाल जैन राजकोट ३२१ कौशीक खीमचंद जैन जामनगर
३०६ पंकज सोमचंद जैन जामनगर ३२२ विक्रम छोटालाल जैन दामनगर
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(बाकीनां नामो आवता अंकमां आपीशुं)
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धर्मवत्सल बंधुओ
बालविभागमां उत्साहभर्यो सेंकडो पत्रो आवेल छे, बीजां पण अनेक
जिज्ञासुओना लागणीभर्या पत्रो आव्या छे; परंतु संपादकनी तबियत जरा अस्वस्थ
होवाना कारणे तेनी व्यवस्थामां पहोंची शकायुं नथी. बालविभागना बीजा लेखो,
वार्ता, प्रश्नोत्तर वगेरे पण आपी शकायुं नथी; आत्मधर्मनी चालु लेखमाळाओ पण
केटलीक आपी शकाई नथी. आवता अंकथी बधुं व्यवस्थित थई जशे. बाळकोने भेट
आपवानुं पुस्तक छपाई गयुं छे, ते थोडा वखतमां मोकली देशुं....जय जिनेन्द्र.