Atmadharma magazine - Ank 269
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : फागण : २४९२
दीठा बाहुबली भगवान
आत्मधर्मना गतांकमां आपणे जणावेल
के गुरुदेवे स्वप्नमां बाहुबली भगवानने देख्या
हता... ते संबंधी विगत बीजा अंकमां आपवा
जणावेल; गुरुदेव सं. २०१प मां संघसहित
यात्रा वखते श्रवणबेलगोल (मैसुर प्रान्त) मां
बाहुबली भगवानना दर्शन कर्यो ने जे
अद्भुतभावो उल्लस्या, ते वखतना एमना
उद्गार अलौकिक भावभीना हता...ए
बाहुबलीप्रभुनी भावभीनी मुद्रा एमना
हृदयमां कोतराई गई हती.
त्यारबाद अमुक वखते (लगभग सं.
२०१९ मां) एकवार स्वप्नमां गुरुदेवे बाहुबली
भगवानने साक्षात् दीठा धराई धराईने आनंदथी
नीहाळ्‌यां. अद्भुत आश्चर्यकारी ए देदार
हतो...आजे बे त्रण वर्ष बाद ए प्रसंग याद
करतां पण गुरुदेवनुं हृदय बाहुबलीनाथ प्रत्ये
आहलादथी उभराई जाय छे. स्वप्नमां आकाशमां वादळा हता...ते वादळामांथी गगनमां
ज बाहुबली भगवान प्रकट थया....स्फटिक जेवो एनो उज्वळ देदार! एमनी भव्य मुद्रा
परम गंभीर वैराग्यनी छवायेली.....जाणे चैतन्यनो पिंडलो! अहा, ए गगनविहारी
बाहुबलीदर्शन...ए तो जाणे साक्षात् बाहुबलीनाथ पोते ज सामे ऊभा हता. एमना
दर्शनथी गुरुदेवने घणो रोमांच जागतो हतो. गुरुदेव कहे छे के स्वप्नमां जे बाहुबली जोया
तेमना शरीरे वेलडी न हती, ने ते आकाशमां हता, (एनो अर्थ ए के केवळज्ञानप्राप्त
गगनविहारी बाहुबलीस्वामीनुं ए दर्शन हतुं, केवळज्ञान पछी शरीरे वेलडी रहे नहि ने
आकाशमां विचरे; शरीर स्फटिक जेवुं होय.) गुरुदेवे बाहुबलीस्वामीनुं एक चित्र जोतां ए
स्वप्न फरी याद कर्युं त्यारे तेमने घणोज प्रमोद थतो हतो. श्रोताओ पण गुरुदेवना भाव
देखीने उल्लसित थता हता. ‘जय बाहुबली
* * * * *
वैराग्य समाचार: राजकोटमां ता. १०–१–६६ ना रोज प्राणलाल मोहनलाल
बोघाणी ७२ वर्षनी वये स्वर्गवास पाम्या छे. स्वर्गस्थ आत्मा शांति पामे एज भावना.
जिनमंदिरनुं शिलान्यास: हिंमतनगर (गुजरातमां) गत मासमां दि.
जिनमंदिरनुं शिलान्यास उत्साहपूर्वक थयुं हतुं.