: फागण : २४९२ आत्मधर्म : ३३ :
शोधी.....काढो
(जवाबो लखीने मोकलवाना नथी)
२४ तीर्थंकर भगवंतोमांथी अयोध्या जन्म्या होय ने सम्मेदशिखरथी मोक्ष
पाम्या होय एवा भगवंतो केटला ने क््या क््या?
२४ तीर्थंकर भगवंतोमांथी अयोध्यामां जन्म्या होय छे पण सम्मेदशिखरजी
मोक्ष न पाम्या होय–एवा भगवंतो केटला ने कया कया?
२४ तीर्थंकरोमांथी सम्मेदशिखरथी मोक्ष पाम्या होय पण अयोध्यामां जन्म्या न
होय एवा तीर्थंकर केटला ने कया कया?
२४ तीर्थंकरोमांथी अयोध्यामां जन्म्या न होय सम्मेदशिखरथी मोक्ष पाम्या न
होय एवा भगवंतो केटला ने कया क््या?
प्रश्नो सहेला छे, पण जरा ध्यान राखजो हो–दरेकमां जन्म अने मोक्ष ए बंने
बोल लागु पाडवाना छे. आ शोधवा माटे तमारे अयोध्या के सम्मेदशिखर अत्यारे नहीं
जवुं पडे. (मोटा थाव त्यारे जरूर जाजो.) अत्यारे तो जराक महेनत करशो तो
“मंगलतीर्थयात्रा” पुस्तकमांथी तेमज पूजन वगेरे अनेक पुस्तकोमांथी आ माहिती
मेळवी शकशो. अने छेवट आवता अंकमां तो जवाब आववाना ज छेने! !
‘आत्मधर्म’ प्रचार अने विकास खाते आवेली रकमोनी यादी आवता अंके
आपीशुं.
१४ सीमंधर भगवान
पचीस वर्ष पहेलां सोनगढमां एक सीमंधर
भगवान पधार्या, आजे तो जिनमंदिरमां एकने
बदले बे सीमंधर भगवान बिराजी रह्या छे, एटलुं
ज नहि; मानस्तंभमां उपर–नीचे चारे दिशामां
मळीने ८ सीमंधर भगवान बिराजे छे, ने
समवसरणमां चौदिश चार सीमंधर भगवान
बिराजे छे–एटले कुल १४ सीमंधर भगवान थया.